नमस्कार साथियों,
"चित्र से काव्य तक" अंक -5 प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | इस बार की प्रतियोगिता में निर्णय करना अत्यंत कठिन कार्य था जिसे हमारे तीनों निर्णायकों नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है |
प्रसन्नता का विषय है कि लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत कुल ८२० रिप्लाई आयीं हैं जो कि संतोषजनक हैं | जिसके अंतर्गत अधिकतर दोहा, एकादशी, कुंडली,गज़ल, घनाक्षरी, हाइकू व छंदमुक्त सहित अनेक विधाओं में रचनाएँ प्रस्तुत की गयीं | इस प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, आदरणीय धर्मेन्द्र शर्मा जी , आदरणीय गणेश जी बागी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह व आदरणीय योगराज प्रभाकर जी आदि नें अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों में परस्पर संवाद कायम रखा जो कि इस प्रतियोगिता के सफल सञ्चालन के लिए नितांत आवश्यक था | न केवल यह वरन उन्होंने तथा अपनी प्रतिक्रियाओं में दोहा, कुण्डलिया व घनाक्षरी आदि छंदों का प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी रुचिकर बना दिया | पिछली बार की तरह इस बार भी भाई सौरभ जी, भाई योगराज जी, भाई बागी जी, भाई धर्मेन्द्र जी आदि सहित अन्य मित्रों नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की सीमा के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ इन सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही | बंधुओं ! यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है...........
इस यज्ञ में काव्य रूपी आहुतियाँ डालने के लिए सभी ओ बी ओ मित्रों को हृदय से बहुत-बहुत आभार...
प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...
प्रथम स्थान (श्री इमरान खान) योमे आज़ादी हमें,
तृतीय स्थान: (संजय मिश्र 'हबीब' जी ) भाई रे ...भाई रे ... भाई रे ... आजा रेशम की डोर बाँधूं तेरी कलाई रे.. कह तो भला क्यों चुप सा खड़ा है किसका गम तेरे दम से बड़ा है? अपने घर से तू दूर बहुत है यादों का तूफां, क्रूर बहुत है सीमा पर तू देता है पहरा, तेरे सर है जीत का सेहरा, मिसरी में घोल घोल रब नें बनाई रे |
द्वितीय स्थान (संयुक्त रूप से) (श्री दुष्यंत सेवक जी) राखी - हाइकू 1 राखी के तार बँध पावन प्यार आया है द्वार 2 रक्षा-करार दुआओं की बौछार गुँथा है प्यार 3 भ्राता- प्रेम को ये प्रगाढ़ बनाए महीन डोरी 4 रेशमी डोर है नहीं कमजोर नेह के छोर 5 राखी में बँधा बहन का हृदय मोह से भरा 6 राखी त्योहार भाई कलाई बँधे दिल के तार |
प्रथम, द्वितीय (संयुक्त) व तृतीय स्थान के उपरोक्त चारों विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से बहुत-बहुत बधाई...
प्रथम व द्वितीय स्थान के उपरोक्त विजेता आगामी "चित्र से काव्य तक- प्रतियोगिता अंक ६" के निर्णायक के रूप में भी स्वतः नामित हो गए हैं |
अंत में हम सभी की ओर से इस प्रतियोगिता के निर्णायक मंडल के सदस्यों, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, आदरणीय ज्ञानचंद मर्मज्ञ जी व आदरणीया श्रीमती वंदना गुप्ता जी का विशेष रूप से आभार ..........
जय ओ बी ओ!
सादर:
अम्बरीष श्रीवास्तव
अध्यक्ष,
"चित्र से काव्य तक" समूह
ओपन बोक्स ऑनलाइन परिवार
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प्रतियोगिता के पाँचवें अंक के सभी विजेताओं को मेरी हार्दिक बधाई.
छोटे भाई इमरान की उपलब्धियों पर हृदय मुग्ध है. दुष्यंतजी, हरदीप संधूजी तथा संजय भाई को मेरी हार्दिक शुभकामनाएँ.
संचालक आदरणीय अम्बरीषभाई तथा समस्त कार्यकारी सदस्यों को उनके महती योगदान और सहयोग को मेरा सादर साधुवाद.
हार्दिक आभार सौरभ जी, आपकी निष्पक्ष टिप्पणियां ही हैं जो और लिखने को प्रेरित करती हैं....आशीर्वाद बनायें रखें
दुष्यंत भाई, हार्दिक संतुष्टि हुई कि आपको मेरी प्रतिक्रियाएँ सटीक लगती हैं और उत्साहवर्द्धन का कारण लगती हैं.
किन्तु इसके भी कई आयाम हैं. आप साथ बने रहे.
आदरणीय सौरभ भाई जी ! ओ बी ओ पर आपका योगदान प्रणम्य है ! कृपया हम सभी का हृदय से आभार स्वीकारें !
आपकी सदाशयता सदा से निर्मल रही है और तारती है.
हार्दिक आभार. ..
स्वागत है मित्र !
अम्बरीश भाई, आप मेरे मुह की बात कह दिए है, सहमत हूँ मैं आपसे |
धन्यवाद भाई बागीजी
सौरभ भैया! आपका दिल से आभार ... आपके मार्गदशन के बिना ये संभव नहीं था...आगे भी इसी तरह मार्गदर्शन कीजियेगा.
मेरे जैसों के मार्गदर्शन की आवश्यकता कितनी कह नहीं सकता, अलबत्ता आपके प्रयास का निरन्तर होना और समझ का संवेदनशील होना ही आपकी सफलता है.
देखे हैं इस पहलू ने अंदाज़ अलहदे, बेढब से. .
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