नमस्कार साथियों,
"चित्र से काव्य तक" अंक -६ प्रतियोगिता से संबधित निर्णायकों का निर्णय आपके समक्ष प्रस्तुत करने का समय आ गया है | इस बार की प्रतियोगिता में निर्णय करना अत्यंत कठिन कार्य था जिसे हमारे निर्णायकों नें अत्यंत परिश्रम से संपन्न किया है |
प्रसन्नता का विषय है कि लगातार तीन दिनों तक चली इस प्रतियोगिता के अंतर्गत कुल ७८२ रिप्लाई आयीं हैं जो कि संतोषजनक हैं, जिसके अंतर्गत अधिकतर दोहा, चौपाई , कुंडली, गज़ल, घनाक्षरी, हाइकू व छंदमुक्त सहित अनेक विधाओं में रचनाएँ प्रस्तुत की गयीं, इस प्रतियोगिता की एक विशेष बात रही कि सदस्यों ने विलुप्त होती विधा "कह मुकरी" और "आल्हा" पर भी कलम आजमाइस किये |
प्रतियोगिता में समस्त प्रतिभागियों के मध्य, आदरणीय सौरभ पाण्डेय जी, आदरणीय धर्मेन्द्र शर्मा जी, आदरणीय गणेश जी बागी, धर्मेन्द्र कुमार सिंह, आदरणीय योगराज प्रभाकर जी व मंच संचालक श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी ने आदि से अंत तक अपनी बेहतरीन टिप्पणियों के माध्यम से सभी प्रतिभागियों व संचालकों में परस्पर संवाद कायम रखा जो कि इस प्रतियोगिता के सफल आयोजन के लिए नितांत आवश्यक था | न केवल यह वरन उन्होंने अपनी प्रतिक्रियाओं में दोहा, कुण्डलिया, कह मुकरी व घनाक्षरी आदि छंदों का प्रयोग करके इस प्रतियोगिता को और भी रुचिकर बना दिया | इस आयोजन में श्री आलोक सीतापुरी जी, श्री सौरभ पाण्डेय जी, श्री योगराज प्रभाकर जी, श्री अम्बरीश श्रीवास्तव जी, बागी जी, श्री धर्मेन्द्र कुमार शर्मा जी, जनाब इमरान खान जी, श्रीमती नीलम उपाध्याय जी, श्रीमती शन्नो अग्रवाल जी, श्री सतीश मापतपुरी जी नें भी प्रतियोगिता से बाहर रहकर मात्र उत्साहवर्धन के उद्देश्य से ही अपनी-अपनी स्तरीय रचनाएँ पोस्ट कीं जो कि सभी प्रतिभागियों को चित्र की सीमा के अंतर्गत ही अनुशासित सृजन की ओर प्रेरित करती रहीं, साथ-साथ इन सभी नें अन्य साथियों की रचनायों की खुले दिल से निष्पक्ष समीक्षा व प्रशंसा भी की जो कि इस प्रतियोगिता की गति को त्वरित करती रही | बंधुओं ! यह अत्यंत हर्ष का विषय है कि चित्र से काव्य तक प्रतियोगिता अपेक्षित गुणवत्ता की ओर अग्रसर हो रही है...........
इस यज्ञ में काव्य रूपी आहुतियाँ डालने के लिए सभी ओ बी ओ मित्रों को हृदय से बहुत-बहुत आभार...
प्रतियोगिता का निर्णय कुछ इस प्रकार से है...
प्रथम स्थान
प्रथम स्थान (संजय मिश्र 'हबीब' जी ) तुम क्यूँ पीछे आज खड़े हो, अपनी नज़र उठाओ ना अआ, इई के पंख लगा कर, गगन नाप के आओ ना झिझको नहीं ज़रा सा भी तुम, निज ताकत विश्वास करो रंग उठा कर इंद्रधनुष से, सपनों में खुद रंग भरो तितली बन कर शब्द सुमन पर, तुम भी तो इठलाओ ना अआ, इई के पंख लगा कर, गगन नाप के आओ ना बीत गया जो बीत गया वो उसकी चिंता करना क्यों? आगे आओ तुम भी जानों ज्ञान है सुन्दर झरना क्यों? अँधेरे से उजियारे तक झरने सा झर जाओ ना अआ, इई के पंख लगा कर, गगन नाप के आओ ना समय साध लो ज्ञान पहन कर राहों का विस्तार बनो अपना जीवन, अपने हाथों रखो, नया आधार बनो, सारे आओ संगी साथी अपने सभी बुलाओ ना अआ, इई के पंख लगा कर, गगन नाप के आओ ना |
द्वितीय स्थान श्री सुरेंदर रत्ती
कुछ दरीचे बंद थे, कैसे आये महकती सबा,
|
तृतीय स्थान
(श्रीमती सुनीता शानू जी)
आओ बहनों पढ़-लिखकर ज्ञान कमायें सच्चा
उम्र हो गई अस्सी की,दिल तो है अभी बच्चा॥
सारा जीवन व्यर्थ गँवाया, जो पढ़ न पाये अक्षर
आज पढ़लें हम-सब मिल, मिला हमें ये अवसर
ज्ञान आँख की ऎसी ज्योति कम न होने पाये
जितनी बाँटो उतनी बढ़े ये मिट कभी न पाये
बनियें को भी डाँटेंगे जो हिसाब करेगा कच्चा
उम्र हो गई अस्सी की,दिल तो है अभी बच्चा॥
बहुओं की गिट-पिट भी आज समझ में आयेगी
नई पड़ौसन फ़िर कभी न अनपढ़ हमें बतायेगी
चींटू-पींटू, मिन्की-चिन्की, हमको कभी चिढ़ायेंगे
अपनी पुस्तक दिखला कर उनको पाठ पढ़ायेंगे
बात हमारी मानेगा अब घर का हर एक बच्चा
उम्र हो गई अस्सी की,दिल तो है अभी बच्चा॥
क ख ग घ सीखेंगी फ़िर इंग्लिश कक्षा की बारी
जोड़-घटाव, गुणा-भाग में न पिछडेगी अब नारी
गीता जी का पाठ करेंगे रामायण भी पढ़ पायेंगे
पढ़-लिख कर आओ बहनों अपना भविष्य बनायेंगे
अँगूठा नही लगायेंगे हम,न खायेंगे अब गच्चा
उम्र हो गई अस्सी की,दिल तो है अभी बच्चा॥
प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान के उपरोक्त सभी विजेताओं को सम्पूर्ण ओ बी ओ परिवार की ओर से हार्दिक बधाई...
प्रथम व द्वितीय स्थान के उपरोक्त विजेता आगामी "चित्र से काव्य तक" प्रतियोगिता अंक ७ के निर्णायक के रूप में भी स्वतः नामित हो गए हैं, तथा आप दोनों की रचनायें आगामी अंक के लिए स्वतः प्रतियोगिता से बाहर होगी |
जय ओ बी ओ!
सौजन्य से ........
अम्बरीष श्रीवास्तव
अध्यक्ष,
"चित्र से काव्य तक" समूह
ओपन बोक्स ऑनलाइन परिवार
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सादर नमन बड़े भईया, यह निश्चितरूप से आप सभी गुरुजनों से प्राप्त मार्गदर्शन और 'सकारात्मक ऊर्जा' का ही परिणाम है...
सादर...
संजयभाई आपको नहीं पता होगा मैं कितनी बार आपकी उक्त रचना को पढ़ गया था... . बहुत सार्थक प्रयास था.
बहुत-बहुत बधाई. ..
सादर नमन बड़े भईया, सार्थक होता प्रयास निश्चितरूप से आप सभी गुरुजनों से प्राप्त मार्गदर्शन और 'सकारात्मक ऊर्जा' का ही परिणाम लक्षित होता है...
सादर...
Sabhi vijetao ko hardik badhayee.
ओबो की सारी टीम बधाई की पात्र है, बहुत ही सही तरीके से संचालन किया और तमाम हमारे कवी मित्र जिन्होंने मेरा हौसला बढ़ाया शुक्रिया "चित्र से काव्य तक" अंक - ६" का आयोजन सफल रहा, साहित्य, रचनात्मक लेखन तब तक सफल नहीं होता जब तक उसे पाठक न मिले, ओबो परिवार दिनोंदिन लोकप्रिय होता जा रहा है यह भी ख़ुशी का विषय है, नए लोग जुड़ रहे हैं, मैं आज भी विद्यार्थी हूँ और सारी उम्र विद्यार्थी ही रहूँगा, यह सत्य है जहां इतने गुनिजन हो वहां आपकी कलम की धार भी अपने आप तेज़ होती जायेगी - बहुत बहुत बधाई आप सबको - सुरिन्दर रत्ती - मुंबई
भाई सुरिंदर रत्तीजी, आपको आपके प्रयास और उसे मिले प्रतिदान के लिये मेरी अनेकानेक बधाइयाँ.
श्री संजय मिश्रा हबीब, श्री सुरिंदर रत्ती व श्रीमती सुनीता शानू सभी को मेरी हार्दिक बधाई ...
//अआ, इई के पंख लगा कर,
गगन नाप के आओ ना//
गीत परिणाम आने से भी पहले कानो में गूंजता रहा...प्रथम स्थान पर इस गीत को देखकर ख़ुशी हुयी..
संजय मिश्र 'हबीब' जी , सुरिंदर रत्ती जी , सुनीता शानू जी ,
aap sabhi ko badhai
श्री संजय मिश्रा हबीब,श्री सुरिंदर रत्ती और श्रीमती सुनीता शानू आप सब को हार्दिक बधाई
आदरणीय अम्बरीषभाईजी, ’चित्र से काव्य तक’ के अंक-६ के सफल आयोजन और समापन के लिये आपको हार्दिक बधाइयाँ.
इसमें कोई संदेह नहीं कि प्रविष्टियों और रचनाओं का स्तर पहले से बेहतर हुआ है, परन्तु अभी भी हमें बहुत कोशिश करनी हैं. हम प्रयासरत भी हैं.
आगे, देखना है, आज के युवक-रचनाकार इस संदर्भ को कैसे लेते हैं. इस परिप्रेक्ष्य में समस्त प्रयास संतुलित रखना है.
सादर.
आप सभी का हार्दिक आभार ....सादर:
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