For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

आदरणीय काव्य-रसिको,

सादर अभिवादन !

 

चित्र से काव्य तक छन्दोत्सव का आयोजन लगातार क्रम में इस बार छप्पनवाँ आयोजन है.

आयोजन हेतु निर्धारित तिथियाँ  18 दिसम्बर 2015 दिन शुक्रवार से  19 दिसम्बर 2015 दिन शनिवार तक

 

इस बार गत अंक में से दो छन्द रखे गये हैं - दोहा छन्द और सार छन्द.

 

हम आयोजन के अंतरगत शास्त्रीय छन्दों के शुद्ध रूप तथा इनपर आधारित गीत तथा नवगीत जैसे प्रयोगों को भी मान दे रहे हैं.

 

इन दोनों छन्दों में से किसी एक या दोनों छन्दों में प्रदत्त चित्र पर आधारित छन्द रचना करनी है. 

 

इन छन्दों में से किसी उपयुक्त छन्द पर आधारित नवगीत या गीत या अन्य गेय (मात्रिक) रचनायें भी प्रस्तुत की जा सकती हैं.  

 

रचनाओं की संख्या पर कोई बन्धन नहीं है. किन्तु, उचित यही होगा कि एक से अधिक रचनाएँ प्रस्तुत करनी हों तो दोनों छन्दों में रचनाएँ प्रस्तुत हों.   

 

केवल मौलिक एवं अप्रकाशित रचनाएँ ही स्वीकार की जायेंगीं.

[प्रयुक्त चित्र मेरे अलबम से]

दोहा छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने के लिए यहाँ क्लिक करें

सार छन्द के मूलभूत नियमों से परिचित होने केलिए यहाँ क्लिक करें

जैसा कि विदित है, अन्यान्य छन्दों के विधानों की मूलभूत जानकारियाँ इसी पटल के भारतीय छन्द विधान समूह में मिल सकती है.

********************************************************

आयोजन सम्बन्धी नोट :

फिलहाल Reply Box बंद रहेगा जो 18 दिसम्बर 2015  से  19 दिसम्बर 2015 यानि दो दिनों के लिए  रचना-प्रस्तुति तथा टिप्पणियों के लिए खुला रहेगा.

 

अति आवश्यक सूचना :

  1. रचना केवल स्वयं के प्रोफाइल से ही पोस्ट करें, अन्य सदस्य की रचना किसी और सदस्य द्वारा पोस्ट नहीं की जाएगी.
  2. नियमों के विरुद्ध, विषय से भटकी हुई तथा अस्तरीय प्रस्तुति को बिना कोई कारण बताये तथा बिना कोई पूर्व सूचना दिए हटाया जा सकता है. यह अधिकार प्रबंधन-समिति के सदस्यों के पास सुरक्षित रहेगा, जिस पर कोई बहस नहीं की जाएगी.
  3. सदस्यगण संशोधन हेतु अनुरोध  करेंआयोजन की रचनाओं के संकलन के प्रकाशन के पोस्ट पर प्राप्त सुझावों के अनुसार संशोधन किया जायेगा.
  4. आयोजनों के वातावरण को टिप्पणियों के माध्यम से समरस बनाये रखना उचित है. लेकिन बातचीत में असंयमित तथ्य न आ पायें इसके प्रति संवेदनशीलता आपेक्षित है.
  5. इस तथ्य पर ध्यान रहे कि स्माइली आदि का असंयमित अथवा अव्यावहारिक प्रयोग तथा बिना अर्थ के पोस्ट आयोजन के स्तर को हल्का करते हैं.
  6. रचनाओं पर टिप्पणियाँ यथासंभव देवनागरी फाण्ट में ही करें. अनावश्यक रूप से रोमन फाण्ट का उपयोग  करें. रोमन फ़ॉण्ट में टिप्पणियाँ करना एक ऐसा रास्ता है जो अन्य कोई उपाय न रहने पर ही अपनाया जाय.
  7. रचनाओं को लेफ़्ट अलाइंड रखते हुए नॉन-बोल्ड टेक्स्ट में ही पोस्ट करें. अन्यथा आगे संकलन के क्रम में संग्रहकर्ता को बहुत ही दिक्कतों का सामना करना पड़ता है.

 

छंदोत्सव के सम्बन्ध मे किसी तरह की जानकारी हेतु नीचे दिये लिंक पर पूछताछ की जा सकती है ...


"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के सम्बन्ध मे पूछताछ

 

"ओबीओ चित्र से काव्य तक छंदोत्सव" के पिछ्ले अंकों को यहाँ पढ़ें ...

 

विशेष :

यदि आप अभी तक  www.openbooksonline.com परिवार से नहीं जुड़ सके है तो यहाँ क्लिक कर प्रथम बार sign up कर लें.

 

मंच संचालक
सौरभ पाण्डेय
(सदस्य प्रबंधन समूह)
ओपन बुक्स ऑनलाइन डॉट कॉम

Views: 12364

Replies are closed for this discussion.

Replies to This Discussion


अति सुंदर........आ0 भाई अशोक जी, हार्दिक बधाई ।

आदरणीय अशोक रक्तले जी, प्रदत्त चित्र पर इस सारगर्भित सार छंद पर हार्दिक बधाई आपको ! 

//गंगा के इस तट पर प्रतिदिन, लोग दूर से आते |
दिखता है पर जमघट जितना, उतने नहीं नहाते ||//
.
गंगा तट की रौनक न्यारी, माने दुनिया सारी
माघी का मेला आया तो, भीड़ हुई है भारी

//प्लास्टिक के डिब्बों में भरते, गंगा जी का पानी |
बदल गया है कितना यह युग , होती है हैरानी ||//
.
मैला हो गंगाजल कितना, फिर भी पावन माना
दूषित करना छोडो वर्ना,  दुनिया देगी ताना 

.

//डिब्बा भर सामान पसारे, बैठी है माँ काली |
कुछ रुपयों में दे देगी यह, भर पूजा की थाली ||//
.
पूजा का सामान बेचकर, पेट भरे बेचारी
जमघट में भी लगे अकेली, यह ग़ुरबत की मारी

//धर्म ध्वजा को घेरे हैं कुछ , अपने हाथ उठाये |
लेकर मन में अभिलाषा जो, तट गंगा के आये ||//
.
कोई मन्नत कोई चाहत, गंगातट पर लाये  
जैसी जिसकी रहे भावना, वैसा ही फल पाए
.
अस्त-व्यस्त यह दृश्य भोर का, सब करते मनमानी |
भरते हैं पर लोग आज भी , गंगा जी का पानी ||
.
गंगा जल की बात अनोखी, अमृत इसको माना
अन्तकाल इसकी दो बूँदें, चाहे सकल जमाना

वाह वाह 

गंगा के इस तट पर प्रतिदिन, लोग दूर से आते |
दिखता है पर जमघट जितना, उतने नहीं नहाते ||----- सभी छंद बहुत खूब बने है आदरणीय अशोक जी। ...आप सबके लेखन से ही हम यहां मार्गदर्शित हो रहे है। आभार आपको।

 (प्रदत्त चित्र आधारित सार छंद )
"भावजड़ता"
.
कैसी कैसी पृथा  बनायीं ,हमने इस जीवन में। 
प्रकृति का माधुर्य प्रदूषित ,कर डाला क्षण क्षण में। 
.
चलो चलें संक्रांति  काल में, खूब लगाएं डुबकी। 
गंगा मैया दे ही देंगी, सभी  पापों से मुक्ति। 
.
गहरे जाकर मैल हटाओ, तिल से अपने तन का। 
फिर अर्पितकर फूल हार, सब भार मिटाओ मन का
खाकर सब पकवान  फेक दो, शेष सभी इस जल में। 
गंगाजी की एक लहर से , सब   बह जाएगा पल में। 
.
मौलिक और अप्रकाशित 
-----

आठ पंक्तियों में गागर में सागर भर दिया है बेहतरीन जन-जागरूकता संदेश सहित । हृदयतल से बहुत बहुत बधाई आपको आदरणीय त्रिलोक्य रंजन जी/ Dr T R Sukul जी ।

बहुत धन्यवाद आदरणीय  शेख साहब।

आदरणीय सुकुलजी

चित्र पर सुंदर प्रस्तुति की हार्दिक बधाई

डुबकी और मुक्ति की तुकांतता ... ?

गंगाजी की एक लहर से , सब   बह जाएगा पल में।.... गंगाजी की एक लहर से ,  बह जाएगा पल में। 

धन्यवाद और आभार आदरणीय श्रीवास्तव जी।
१ यदि "डुबकी और मुक्ति " में तुकान्त मान्य नहीं है तो क्या इस पद में दूसरी लाइन को इस प्रकार लिखा जा सकता है :-
" उछल कूद कर फिर चाहो तो एक लगा लो झपकी "
२ "गंगा जी की एक लहर में बह जाएगा पल में " पहले मैंने यही लिखा था परन्तु गंगा को तीन मात्राओं का मानने पर इस लाइन में छंद की दो मात्राएँ काम हो रही थी और गंगा की चार मात्राएं लेने पर एक मात्रा कम होती है इस लिए 'सब" शब्द जोड़कर लिखा गया .  क्या उचित है कृपया बताएं।

आदरणीय सुकुलजी

1...

स्नान करें संक्रांति  काल में, है ये पुरातन युक्ति। 
गंगा मैया दे ही देंगी, सभी  पापों से मुक्ति।
2 गंगाजी की एक लहर से .... 6 2 3 3 2  [16]
सादर

आदरणीय श्रीवास्तव जी, छंद पर अपनी पैनी दृष्टि से मूल्यांकन करने एवं सुन्दर सुझाव के लिए विनम्र आभार ।।

RSS

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय भाई लक्ष्मण धामी जी"
39 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"हार्दिक आभार आदरणीय "
40 minutes ago
pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश जी उत्साहवर्धन के लिये आपका हार्दिक आभार। "
41 minutes ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. प्रतिभा बहन, सादर अभिवादन। सुंदर छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आ. भाई अखिलेश जी, सादर अभिवादन। चित्रानुरूप उत्तम छंद हुए हैं। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, निज जीवन की घटना जोड़ अति सुंदर सृजन के लिए हार्दिक बधाई स्वीकार करें।"
1 hour ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, सार छंद में छन्न पकैया का प्रयोग बहुत पहले अति लोकप्रिय था और सार छंद की…"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय अखिलेश कृष्ण जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय प्रतिभा पांडे जी, प्रोत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
2 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"  आदरणीया प्रतिभाजी आपने सच ही कहा है कि अंतिम कुछ वर्षों में स्वास्थ्य की दृष्टि से वर्जित…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय दयाराम भाईजी  पितृ पक्ष में कौएँ के महत्व उसकी पीड़ा  को लेकर सुंदर सार्थक रचना की…"
4 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 159 in the group चित्र से काव्य तक
"आदरणीय चेतन प्रकाशजी  पितृ पक्ष के उद्देश्य को लेकर सुंदर सार्थक रचना की बधाई।"
4 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service