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आध्यात्मिक चिंतन Discussions (77)

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संस्कार और उसका मनोवैज्ञानिक आधार - चिंतन

महा प्रभु वल्लभाचार्य का कथन है – जीवाः स्वभावन्तो दुष्टाः , अर्थात जीव स्वभाव से ही दुष्ट प्रकृति का होता है दोषपूर्ण प्रवृत्तियों के कारण…

Started by annapurna bajpai

1 Sep 25, 2013
Reply by Vindu Babu

SPIRITUAL JOURNEY

                                                                            SPIRITUAL  JOURNEY     Any pursuit has to be methodical, and '…

Started by vijay nikore

1 Sep 24, 2013
Reply by Vindu Babu

We are more like our own Mummies than our Real Selves!

We have got stuck with the dead religion. So we face the music and dance to its deadly tunes (प्रेतगान के सुरताल पे थिरकने जैसा): we are gr…

Started by राज़ नवादवी

0 Sep 23, 2013

Sadhana

SADHANA     In its simplest definition, Sadhana is dedication to a pursuit or a goal, e.g. a student trying to excel in studies, a mother t…

Started by vijay nikore

2 Sep 23, 2013
Reply by vijay nikore

सृष्टि की रचना कर ईश्वर ने मुसीबत मोल ले ली: राज़ नवादवी

क्या सृष्टि की रचना कर ईश्वर ने एक बहुत बड़ी मुसीबत मोल ले ली? महान संतों की बात मानें तो ठीक-ठीक यह बता पाना संभव नहीं है कि ब्रहामंड में…

Started by राज़ नवादवी

0 Sep 17, 2013

ARE DHARMA AND RELIGION SAME ?

                      ARE  DHARMA  AND  RELIGION  SAME ?     In its broadest definition, Dharma is moral ideal.   The scope of definition…

Started by vijay nikore

1 Sep 12, 2013
Reply by Vindu Babu

Raz Nawadwi: In the Labyrinth of My Mystical Alleys-7 (मेरी रहस्यवादी वीथी के व्यामोह में-७) 'मूर्तिपूजा क्या है?'

मूर्तिपूजा क्या है? -------------------   संतों ने स्पष्ट कहा है कि "सिर्फ मूर्तिओं की उपासना ही मूर्तिपूजा नहीं है. यदि कोई व्यक्ति अपनी आ…

Started by राज़ नवादवी

0 Aug 28, 2013

Raz Nawadwi: In the Labyrinth of My Mystical Alleys-6 (मेरी रहस्यवादी वीथी के व्यामोह में-६)

Truth is truth and its raison d'etre cannot be ascribed to a particular religion, caste, or creed which are human make-ups, view-points, an…

Started by राज़ नवादवी

0 Aug 26, 2013

"जो कुछ बोल रहे हो निःस्वार्थ भाव से ही न "

“जो कुछ बोल रहे हो निःस्वार्थ भाव से ही न” मंदिर का घंटा बजते हुए एक भद्र पुरुष  ने परमात्मा की मूरत के सामने हाथ जोड़ कर अंखे बंद कर लीं और…

Started by annapurna bajpai

0 Aug 7, 2013

Raz Nawadwi: In the Labyrinth of My Mystical Alleys-5 (मेरी रहस्यवादी वीथी के व्यामोह में-५)

Everything originates at first at the level of a whim or an idea which gets translated into grosser forms at an opportune time. Ideation le…

Started by राज़ नवादवी

0 Aug 7, 2013

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pratibha pande replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी _____ निवृत सेवा से हुए अब निराली नौकरी,बाऊजी को चैन से न बैठने दें पोतियाँ माँगतीं…"
1 hour ago
Ashok Kumar Raktale replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी * दादा जी  के संग  तो उमंग  और   खुशियाँ  हैं, किस्से…"
12 hours ago
अखिलेश कृष्ण श्रीवास्तव replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 162 in the group चित्र से काव्य तक
"मनहरण घनाक्षरी छंद ++++++++++++++++++   देवों की है कर्म भूमि, भारत है धर्म भूमि, शिक्षा अपनी…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post रोला छंद. . . .
"आदरणीय जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी ।"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय जी सृजन पर आपके मार्गदर्शन का दिल से आभार । सर आपसे अनुरोध है कि जिन भरती शब्दों का आपने…"
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Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी सृजन के भावों को मान देने एवं समीक्षा का दिल से आभार । मार्गदर्शन का दिल से…"
Tuesday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . .यथार्थ
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय"
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Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"बंधुवर सुशील सरना, नमस्कार! 'श्याम' के दोहराव से बचा सकता था, शेष कहूँ तो भाव-प्रकाशन की…"
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Chetan Prakash commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"बंधुवर, नमस्कार ! क्षमा करें, आप ओ बी ओ पर वरिष्ठ रचनाकार हैं, किंतु मेरी व्यक्तिगत रूप से आपसे…"
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