Posted on September 3, 2013 at 9:00am — 24 Comments
एक बार फिर दिल से, गुस्ताखी माफ़ अगर लगे दिल पे
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आज कल हर कोई स्वतंत्रता दिवस के रंग में रंगा है, ऐसे में मेरे मन में कुछ विचार आये है ... जो शायद क्रांति नहीं ला सकते और न ही उनमे कोई बोद्धिकता है | फिर भी लिख रहा हूँ और आप सबके साथ साँझा कर रहा हूँ ....
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बात तब की है, जब मैं बचपने की गोद में खेला करता था, दूरदर्शन पर स्वतंत्रता दिवस के दिन मनोज कुमार की शहीद दिखाई गयी, फिल्म इतनी अच्छी लगी कि मुझे भारत माँ के सबसे महान और वीर बेटे भगत सिंह ही नज़र आने…
ContinuePosted on August 14, 2013 at 6:00pm — 12 Comments
Posted on July 31, 2013 at 4:00pm — 10 Comments
ऐ प्रकृति तू धर शरीर
ले जन्म किसी माँ की कोख से !!
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जब तुझे लगेगी चोट
बहेगा लहू तेरे शरीर से
या बीच राह में कोई
दाग लगेगा आबरू पे कोई
जब जागेगा ये मानव कही
रक्षा को तेरी तभी
ऐ प्रकृति तू धर शरीर !!
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वैसे तो कुछ दिनों का होगा जोश
मानव का मानव के लिए
मगर इस बहाने ऐ प्रकृति
तेरा ख्याल तो आयेगा
वरना ये शातिन प्राणी
अपने स्वार्थ के लिए
तुझको ही ये लूटता जायेगा
ऐ प्रकृति तू धर शरीर
ले…
Posted on July 12, 2013 at 9:30am — 10 Comments
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आदरणीय सुमित जी:
आपने मित्रता का हाथ बढ़ा कर मुझको मान दिया है।
धन्यवाद।
सादर,
विजय निकोर
आदरणीय सुमित जी आपका आभार । डी पी माथुर
welcome ji