For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

jyotsna Kapil
Share on Facebook MySpace

Jyotsna Kapil's Friends

  • S.S Dipu
  • जयनित कुमार मेहता
  • विनोद खनगवाल

jyotsna Kapil's Groups

 

jyotsna Kapil's Page

Profile Information

Gender
Female
City State
bareilly
Native Place
Agra
Profession
teacher n writer
About me
M.A,(prev.Eng.lit.),reading literature n writing poems,short stories,story,novel.listening melodious music,singing.

Jyotsna Kapil's Blog

सर्द साँझ ( लघुकथा )

बेचैनी उसकी आँखों से साफ नज़र आ रही थी।उधर अमन कश्मकश भरी निगाह से कभी डॉक्टर, कभी बच्चे, तो कभी अपनी पत्नी कली को देखे जा रहे थे।

सर्दी अपने शबाब पर थी।साँझ के धुंधलके में वे दोनों खरीदारी करके लौट रहे थे तो घर के आगे भीड़ देखकर रुक गए।झाड़ियों के पास नर्म, मुलायम कम्बल से लिपटा एक नवजात शिशु पड़ा हुआ था।लोग अनर्गल प्रलाप में लगे थे पर उसे किसी ने हाथ भी न लगाया था।

" चलो,न जाने किसका पाप है " अमन ने उसकी बाँह सख्ती से पकड़ते हुए कहा।कली ने कुछ कहना चाहा पर पति के चेहरे पर कठोरता के भाव… Continue

Posted on December 16, 2015 at 12:32pm — 4 Comments

मुफ़्त शिविर

बिटिया के छोटे-छोटे बच्चे,दो वक़्त की रोटी जुटाने की मशक्कत,और बेटी की जान पर मंडराता खतरा देखकर परमेसर सिहर उठा।उसने अपनी एक किडनी देकर उसके जीवन को बचाने का संकल्प कर लिया।

" तुम तो पहले ही अपनी एक किडनी निकलवा चुके हो,तो अब क्या मजाक करने आये थे यहाँ ?" डॉक्टर ने रुष्ट होकर कहा।

" जे का बोल रै हैं डागदर साब,हम भला काहे अपनी किटनी निकलवाएंगे।

ऊ तो हमार बिटिया की जान पर बन आई है।छोटे-2 लरिका हैं ऊ के सो हमन नै सोची की एक उका दे दै।"

" पर तुम्हारी तो अब एक ही किडनी है,और ये… Continue

Posted on December 4, 2015 at 2:18pm — 19 Comments

फासले

द्वार खोला तो महीनों बाद अमित को सामने पाकर वह चौंक उठी।

" आप ?"

" हाँ मैं, सोनिया को छोड़ आया हूँ। अब तुम्हारी कीमत का अहसास हो गया है मुझे ,सॉरी मेघा, अब घर लौट आया हूँ, प्लीज़ माफ़ कर दो मुझे "

" बेशक कर दूँगी ,पर एक बात का ईमानदारी से जवाब दीजिये ,अगर मैं आपको छोड़कर किसी और के पास चली गई होती,तो क्या मुझे सहर्ष स्वीकार कर लेते ? "

उसने असमंजस में मेघा की ओर देखा फिर दृष्टि झुकाते हुए बोला

" नहीं "

वेदना व हिकारत के मिले जुले भाव से पति के झुके हुए चेहरे को उसने… Continue

Posted on December 1, 2015 at 12:43pm — 12 Comments

विडम्बना ( लघुकथा )

बाल श्रम उन्मूलन सप्ताह की कवरेज करके सहकर्मी राकेश के संग लौट रहा सुमित उमंग और जोश से लबरेज़ था।

" सरकार के इस कदम की जितनी प्रशंसा की जाए कम है । कम से कम भोले भाले मासूमों का बचपन तो न छीन पाएगा कोई अब। "

एक झोपड़ पट्टी के पास से गुज़रते हुए जमा भीड़ और एक फटेहाल स्त्री का उच्च स्वर में रुदन सुनकर वह रुक गया

" आग लग जावे इस सरकार को,

अच्छा भला मेरा मुन्ना काम करके चार पैसा कमा लेवे था।पन सज़ा के डर से काउ ने बाए काम पर न रखो।का करता बेचारा ?पेट की आग बुझावे की खातिर चोरी कर… Continue

Posted on November 3, 2015 at 7:25pm — 8 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद जी आदाब, बहुत सुंदर ग़ज़ल हुई है बहुत बधाई।"
5 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"लक्ष्मण धामी जी अभिवादन, ग़ज़ल की मुबारकबाद स्वीकार कीजिए।"
5 hours ago
Manjeet kaur replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय दयाराम जी, मतले के ऊला में खुशबू और हवा से संबंधित लिंग की जानकारी देकर गलतियों की तरफ़…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय तस्दीक अहमद खान जी, तरही मिसरे पर बहुत सुंदर प्रयास है। शेर नं. 2 के सानी में गया शब्द दो…"
6 hours ago
Gajendra shrotriya replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"इस लकीर के फकीर को क्षमा करें आदरणीय🙏 आगे कभी भी इस प्रकार की गलती नहीं होगी🙏"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय रिचा यादव जी, आपने रचना जो पोस्ट की है। वह तरही मिसरा ऐन वक्त बदला गया था जिसमें आपका कोई…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय मनजीत कौर जी, मतले के ऊला में खुशबू, उसकी, हवा, आदि शब्द स्त्री लिंग है। इनके साथ आ गया…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, आपकी ग़जल इस बार कुछ कमजोर महसूस हो रही है। हो सकता है मैं गलत हूँ पर आप…"
7 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी, बुरा मत मानियेगा। मै तो आपके सामने नाचीज हूँ। पर आपकी ग़ज़ल में मुझे बह्र व…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आदरणीय महेन्द्र कुमार जी, अति सुंदर सृजन के लिए बधाई स्वीकार करें।"
8 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"आ. भाई तस्दीक अहमद जी, सादर अभिवादन। लम्बे समय बाद आपकी उपस्थिति सुखद है। सुंदर गजल हुई है। हार्दिक…"
8 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184
"ग़ज़ल 221, 2121, 1221, 212 इस बार रोशनी का मज़ा याद आगया उपहार कीमती का पता याद आगया अब मूर्ति…"
8 hours ago

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service