मंचीय मित्रता सूची में शामिल होने पर हार्दिक आभार और बधाई। सुस्वागतम अभिनंदन मुहतरम जनाब मिर्ज़ा जावेद बेग साहिब।
जनाब मिर्ज़ा जावेद बैग साहिब आदाब,ओबीओ के मंच पर आपका स्वागत है ।
रमीज़ अपनी क्रिकेट टीम का बहतरीन विकेट कीपर बल्लेबाज होते हुए भी लगातार अपनी टीम के साथ नहीं खेल सका वजह थी टीम में पहले से एक सीनियर विकेट कीपर बल्लेबाज मोजूद था जब जब वो अनफ़िट होता या किसी और वजह से नहीं खेल पाता तब ही रमीज़ को टीम में खेलने का मोक़ा मिलता और रमीज़ उस मौक़े का भरपूर फायदा उठाते हुए उम्दा से उम्दा प्रदर्शन करता लेकिन बावजूद इसके भी सीनियर खिलाड़ी के आते ही अगले मेचों में फिर पहले की तरह रमीज़ को पेवेलियन में बेठकर मेच देखना पड़ता!
वक़्त गुज़रता रहा अब रमीज़ ने…
Posted on November 9, 2018 at 10:00pm — 11 Comments
नीम रिश्तों में जेसे दर आया
हर तरफ़ तीरगी सी फेली है
रूह घायल है और सहमी है
अपका साथ अब न होने से
ज़िन्दगी जैसे एक मक़तल है
और मक़तल में मैं अकेला हूं
ज़िन्दगी की तवील राहों में
ख़ुद को बेआसरा सा पाता हूँ
साथ एसे में राहबर भी नहीं
दिल की मेहफ़िल में रोशनी भी नहीं
रूह में कोई ताज़गी भी नहीं
मैं हूँ बेआसरा सा सहरा में
ढ़ूंढ़ता हूं वही…
ContinuePosted on October 3, 2018 at 12:30am — 24 Comments
'भर के आँखों में नमी लहज-ए-साइल बाँधा ।
उनसे मिलने जो चला साथ ग़म ए दिल बाँधा ।
उनकी तशबीह सितारों से न अशआर में दी ।
उनके रुख़सार पै जो तिल था उसे तिल बाँधा ।
मैं भँवर से तो निकल आया मगर मैरे लिए ।
एक तूफ़ान भी उसने लबे साहिल बाँधा ।
हौसले पस्त हुए पल में मिरे क़ातिल के ।
तीर के सामने जब सीन-ए- बिस्मिल बाँधा ।
लुत्फ़ अंदोज़ है "जावेद"तग़ज़्ज़ल कितना ।
हमने मोज़ू ए…
ContinuePosted on August 31, 2018 at 12:59am — 12 Comments
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