For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

प्रो. विश्वम्भर शुक्ल
Share on Facebook MySpace

प्रो. विश्वम्भर शुक्ल's Groups

 

प्रो. विश्वम्भर शुक्ल's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
Lucknow-U.P.
Native Place
Lucknow
Profession
Retired Principal,Post Graduate College
About me
Poet

प्रो. विश्वम्भर शुक्ल's Blog

दर्द के समंदर देखे !

दर्द के खूब समंदर देखे 
हमने बाहर नहीं अंदर देखे 

आह को वाह में बदल दें वो 
एक से एक धुरंधर देखे 

देवता के गुनाह देख लिए 
जब कथाओं में चंदर देखे 

लोग उंगली पे उठा लेते है 
कृष्ण देखे हैं ,पुरंदर देखे 

फंस ही जाते हैं अपनी चालों में 
जाल देखे हैं ,मछंदर देखे 
_____________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Posted on October 6, 2013 at 10:00pm — 12 Comments

कुछ दोहे भोर के ~~

मन सिहरा ,ठहरा तनिक ,देखा अप्रतिम रूप ,

भोर सुहानी ,सहचरी ,पसर गई लो, धूप !

रश्मि-रश्मि मे ऊर्जा और सुनहरा घाम,

बिखर गया है स्वर्ण-सुख लो समेट बिन दाम !

सुन किलकारी भोर की विहंसी निशि की कोख ,

तिमिर गया ,मुखरित हुआ जीवन में आलोक !

उगा भाल पर बिंदु सा लो सूरज अरुणाभ ,

अब निंदिया की गोद में रहा कौन सा लाभ !

_______________प्रो.विश्वम्भर शुक्ल ,लखनऊ 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Posted on July 12, 2013 at 11:00pm — 11 Comments

गीतिका ~

चेहरे पर चेहरे जड़े हैं,

अक्स लोगों से बड़े हैं !

खो गई पहचान जब से 
जहाँ थे अब तक खड़े हैं !

अभी फूलों मे महक है 

इम्तहां आगे कड़े हैं !

ठोकरों से दोस्ती है ?
राह मे पत्थर पड़े हैं !

इन्हें कुछ कहना नहीं 
दर्द हैं ,चिकने घड़े हैं !
_______________प्रो. विश्वम्भर शुक्ल 

(मौलिक और अप्रकाशित )

Posted on July 9, 2013 at 9:30pm — 13 Comments

मुक्तक ~

१~

बदलता अब कौन अपना आचरण है,

मधुर-स्मिति दर्द का ही आवरण है,

अनकहे शब्दों ने ढूँढी राह है ये 

बादलों के बीच मे कोई किरण है !



२~

कोई छोटे हैं तो कोई बड़े हैं न,

हम सभी मुखौटे लिए खड़े हैं न,

असली चेहरा न तलाशिये हुज़ूर 

एक चेहरे पर कई चेहरे जड़े हैं न !

३~

एक अनबुझी प्यास लिए हम गहरे कुएं हुए,

कभी लगी जो आग मित्र,हम उठते धुंएं हुए,

सजे हुए हैं हम…

Continue

Posted on July 5, 2013 at 12:25am — 4 Comments

Comment Wall (3 comments)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 12:59pm on July 13, 2013, केवल प्रसाद 'सत्यम' said…

ओ0बी0ओ0 लखनऊ चैप्टर, लखनऊ
मासिक गोष्ठी--- on date--14.07.2013 at 3.30 pm
आयोजन स्थल का पता-
‘‘युनिवर्सल कोचिंग, वैभव बाजार के ठीक सामने
सर्वोदय नगर, लखनऊ, निकट रहीम नगर कुकरैल पुल
वाया...गोल मार्केट महानगर चौराहे से दाहिने-पूर्व की ओर
...आवागमन का साधन...पैडल रिक्शा
...सम्पर्क सूत्रः-
आदित्य चतुर्वेदी......9839134316
केवल प्रसाद.............9415541353
बृजेश नीरज............9838878270

At 8:23pm on May 9, 2013, बृजेश नीरज said…

Welcome!

At 10:37pm on May 6, 2013, कल्पना रामानी said…

विश्वंभर जी, हार्दिक स्वागत आपका, अब हम यहाँ भी आपकी रचनाओं का आनंद ले सकेंगे...

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity


सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार "
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"मेरे कहे को मान देने के लिए आपका आभार।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आशा है अवश्य ही शीर्षक पर विचार करेंगे आदरणीय उस्मानी जी।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"गुत्थी आदरणीय मनन जी ही खोल पाएंगे।"
15 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"धन्यवाद आदरणीय उस्मानी जी, अवश्य प्रयास करूंगा।"
15 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"बहुत-बहुत धन्यवाद आदरणीय मिथिलेश वामनकर जी।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"नमस्कार। प्रदत्त विषय पर एक महत्वपूर्ण समसामयिक आम अनुभव को बढ़िया लघुकथा के माध्यम से साझा करने…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीया प्रतिभा जी आपने रचना के मूल भाव को खूब पकड़ा है। हार्दिक बधाई। फिर भी आदरणीय मनन जी से…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"घर-आंगन रमा की यादें एक बार फिर जाग गई। कल राहुल का टिफिन बनाकर उसे कॉलेज के लिए भेजते हुए रमा को…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदरणीय शेख शहजाद उस्मानी जी इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक बधाई स्वीकार करें। सादर"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आदाब। रचना पटल पर आपकी उपस्थिति, अनुमोदन और सुझाव हेतु हार्दिक धन्यवाद आदरणीया प्रतिभा पाण्डेय जी।…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-111 (घर-आँगन)
"आपका आभार आदरणीय वामनकर जी।"
yesterday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service