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Neelam Dixit
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Neelam Dixit commented on Neelam Dixit's blog post गीत- नेह बदरिया नीर नदी बन
"आदरणीय बसंत कुमार शर्मा जी सादर नमस्कार मेरे उत्साहवर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार।"
Jul 14, 2020
बसंत कुमार शर्मा commented on Neelam Dixit's blog post गीत- नेह बदरिया नीर नदी बन
"आदरणीया नीलम दीक्षित जी सादर नमस्कार  अच्छा श्रंगार गीत हुआ हुआ  कहीं कहीं टंकण त्रुटि है ठीक कर लीजियेगा  बधाई आपको "
Jul 14, 2020
Neelam Dixit and केवल प्रसाद 'सत्यम' are now friends
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Neelam Dixit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117
"प्रोत्साहन के लिए आपका हार्दिक आभार आदरणीय मैठाणी जी।"
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Neelam Dixit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117
"हार्दिक आभार आदरणीय सतविंद्र जी।"
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Neelam Dixit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117
"उत्साहवर्धन के लिए बहुत आभार आपका धामी जी ।"
Jul 12, 2020
Neelam Dixit replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-117
"दोहे- रोटी रोटी की खातिर फिरे, जब बचपन लाचारखुशहाली का स्वप्न फिर, ले कैसे आकार।1। भाग दौड़ में खप गया, सपनों का उत्साह रोटी रोटी हो गई, उड़ लेने की चाह।2। सोंधी सोंधी सी महक, ममता और मिठासरोटी रोटी में लगे, जैसे मां हो पास।3। अपने सब छूटे कहीं,…"
Jul 11, 2020
Neelam Dixit posted a blog post

गीत- नेह बदरिया नीर नदी बन

नेह बदरिया नीर नदी बनआंखों आंखों स्वप्न सधे हैंकाजल की काली रेखाएंसरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।नख बन भाव कुरेदें बातेंयादें मोहक धूमिल छवि कीटूट रहे पतवार हृदय केतूफानी लय है सांसों कीपर्वत से तटबंध दिलों परसकुचाते उदगार बंधें हैं।काजल की काली रेखाएंसरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।मुनरी कंगन छागल बिछुएसबकी सबसे रार हुई हैगजरे की अनबन बालों सेअबकी पहली बार हुई हैआतुर है श्रृंगार मिलान कोलोक लाज के बांध बंधें हैं।काजल की काली रेखाएंसरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।'मौलिक व अप्रकाशित'नीलम दीक्षित.See More
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Neelam Dixit replied to वीनस केसरी's discussion हिन्दी छन्द परिचय, गण, मात्रा गणना, छन्द भेद तथा उपभेद - (भाग १) in the group भारतीय छंद विधान
"आदरणीय वीनस जी,  छंद विधान की महत्वपूर्ण जानकारी साझा करने के लिए आपका आभार. सादर."
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Nov 22, 2019

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Gender
Female
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Lucknow UP
Profession
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About me
I believe Whatever the heart can imagine,the mind can do.

Neelam Dixit's Blog

गीत- नेह बदरिया नीर नदी बन

नेह बदरिया नीर नदी बन

आंखों आंखों स्वप्न सधे हैं

काजल की काली रेखाएं

सरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।

नख बन भाव कुरेदें बातें

यादें मोहक धूमिल छवि की

टूट रहे पतवार हृदय के

तूफानी लय है सांसों की

पर्वत से तटबंध दिलों पर

सकुचाते उदगार बंधें हैं।

काजल की काली रेखाएं

सरिता पर ज्यूँ बांध बांधें हैं।

मुनरी कंगन छागल बिछुए

सबकी सबसे रार हुई है

गजरे की अनबन बालों से

अबकी पहली बार हुई है

आतुर है श्रृंगार…

Continue

Posted on July 9, 2020 at 11:26pm — 2 Comments

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