For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

dr lalit mohan pant
Share on Facebook MySpace

Dr lalit mohan pant's Friends

  • Er. Ganesh Jee "Bagi"
 

dr lalit mohan pant's Page

Profile Information

Gender
Male
City State
indore -mp
Native Place
almora
Profession
SURGEON
About me
I am known for more than 3lac 10 thousand - highest no of sterilization operations in the world safely .

dr lalit mohan pant's Photos

  • Add Photos
  • View All

Dr lalit mohan pant's Blog

ग़ज़ल -

रदीफ़- रही

काफ़िया -चलती , ढलती

अर्कान -२१२२,२१२२,२१२२,२१२

दायरों में ही सिमट कर जिंदगी ढलती रही

तुम फलक थे मैं जमीं औ कश्मकश चलती रही।

मायने थे रौशनी के रात भर उनके लिये

लौ दिये की थरथराती ताक में जलती रही।

दे रहा दाता मुझे खुशियाँ हमेशा बेशुमार

फिर कमी किस बात की जाने हमें खलती रही।

ज़िद ज़माने को दिखाने की रही थी बेवजह

जानि - पहिचानी मुसीबत कोख में पलती रही।

हौसला रखकर फ़तह का जंग हम…

Continue

Posted on September 3, 2014 at 1:30am — 9 Comments

आओ ! जश्न मनायें …

कभी कभी

जब/ वाणी ,कलम और अनुभूतियाँ

यूँ छिटक जाते हैं

जैसे पहाड़ी बाँध से छूटी

उत्श्रिङ्खल लहरें

बहा ले जाती हैं /अचानक

खुशियाँ /सपने /और जिंदगियाँ …

जब /बदहवास रिश्ते

बहा नहीं पाते

अपनी आँखों और मन से

पीड़ा /स्मृतियाँ

और वो

जो ढह जाता है

ताश के महल की तरह

जब एक हूक उठती है

सीने में /और

भर देती है

अनंत आसमान का

सारा खालीपन

कभी सारा समन्दर

और उसका खारापन

जब जुगलबंदी…

Continue

Posted on June 18, 2014 at 1:00am — 12 Comments

ग़ज़ल …. है बहाना आज फिर शुभकामनाओं के लिये

 रदीफ़ -के लिये 

काफ़िया -शुभकामनाओं ,संभावनाओं , याचनाओं 

अर्कान -2122 ,2122 ,2122 ,212 



है बहाना आज फिर शुभकामनाओं के लिये 

आँधियों की धूल में संभावनाओं के लिये . 



नींद क्यों आती नहीं ये ख्वाब हैं पसरे हुये 

हो गई बंजर जमीनें भावनाओं के लिये .



है बड़ा मुश्किल समझना जिंदगी की धार को 

माँगते अधिकार हैं सब वर्जनाओं…

Continue

Posted on April 18, 2014 at 1:29am — 21 Comments

चलो यूँ ही समझा लें मन को …

मैं गिड़गिड़ाता रहा हूँ

रात दिन

तुम सबके सामने

जितने भी सम्बन्ध हो

कल आज और कल के

इस उम्मीद के साथ /कि

तुम थोड़ा पिघलोगे

भले ही अनिच्छा से

मेरा मान रखोगे

यह भ्रम /जीवन भर

साथ चलता रहा है

इसीलिये सब सहा है

यह सुनते ही तुम

मेरे विरोध में

खड़े हो जाओगे

और शायद फिर

मुझे गिड़गिड़ाता पाओगे

मैं अपना वक्तव्य बदलता हूँ

और इसे सार्वभौम /करता हूँ

फिर तुम्हारी और अपनी

ओर से कहता हूँ

मैं

मुझे…

Continue

Posted on March 9, 2014 at 10:23pm — 14 Comments

Comment Wall (1 comment)

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

At 2:21am on August 11, 2013, dr lalit mohan pant said…

प्रशंसा और प्रोत्साहन की  इस सुखद अनुभूति के लिये मैं आप सभी के प्रति अपनी कृतज्ञता ज्ञापित करता हूँ…"

 
 
 

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी गजल हुई है। हार्दिक बधाई।"
8 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार "
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"इस अभ्यास में आदरणीय अमित जी के सुझाव सम्मिलित अवश्य कीजियेगा। सादर"
10 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बहुत बढ़िया सुझाव आदरणीय अमित जी। सभी लाभान्वित हुए। आभार। सादर"
12 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"बहुत बढ़िया अभ्यास।"
13 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय zaif जी हार्दिक धन्यवाद आपका। सादर"
14 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय लक्ष्मण जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
15 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय अमीरुद्दीन जी, आपने बहुत बढ़िया सुझाव दिए हैं। हार्दिक आभार आपका।"
16 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय Zaif जी  बहुत शुक्रिया आपका सादर"
16 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय संजय जी  बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
17 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीया मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार।"
18 minutes ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-169
"आदरणीय चेतन प्रकाश जी मेरे कहे को मान देने के लिए हार्दिक आभार "
20 minutes ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service