आह लिखो , हुंकार लिखो , कुर्बानी लिखना
बंद करो किस्सों में राजा रानी लिखना
सूखे खेतों की किस्मत में पानी लिखना
अब लिखना तो पीलेपन को धानी लिखना
और भी हैं रिश्ते यारों तुम छोडो भी अब
महबूबा के दर अपनी पेशानी लिखना
मानवता उन्वान , भरा हो प्रेम कहन में
अपना जीवन ऐसी एक कहानी लिखना
जब भी तुम अपने लब पर मुस्कान लिखो…
ContinueAdded by Arun Sri on January 21, 2014 at 11:00am — 32 Comments
जाग उठी सड़कें उन्हें बस सच बयानी चाहिए
कह दो संसद से न कोई लंतरानी चाहिए
देख तो ! मैं बिक गया उसकी वफ़ा के नाम पर
ऐ तिजारत ! अब तुझे नज़रें झुकानी चाहिए
मैं बना दूँ अपनी पेशानी पे सजदे की लकीर
तू बता तुझको दिलों पर हुक्मरानी चाहिए ?
धूप में जलना पड़ेगा फिर सुबह से शाम तक
जिद है बच्चों की उन्हें कुछ जाफरानी चाहिए
प्यार है तो आ मेरे माथे पर अपना नाम लिख
जिक्र जब मेरा …
ContinueAdded by Arun Sri on January 4, 2014 at 10:00am — 23 Comments
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