वासन्ती-गीत
सुरीले दिन वसन्त के
मनहर,सरसाते दिन आये रसवन्त के
सुरीले दिन वसन्त के.....!
बहुरंगी बोछारे धरती पर बरसाते
ऋतुओ का राजा फिर आया हँसते गाते
पोर पोर पुलकित दिक् के दिगन्त के
सुरीले दिन वसन्त के......!
मस्ताना मौसम जनजीवन में थिरकन हैं
कान्हा की भक्ति मे खोया हर तन मन हैं
चित्त चपल, ध्यान मग्न, योगी और संत के
सूरीले दिन वसन्त…
ContinueAdded by नन्दकिशोर दुबे on January 28, 2018 at 7:30pm — 2 Comments
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