1222 1222 1222 1222
हमारा जिक्र छोड़ो आप कुछ अपनी कहो, बोलो ।
बहुत दिन बाद आये ख़्वाब में कहदो उठो,बोलो।
फिसलते वक़्त की गिनती ने हमको कर दिया गंभीर,
मगर माँ बाप कहते हैं कि बच्चे हो हँसो, बोलो।
कहीं पर सामना हो जाए तेरा मैं रहूँ खामोश,
तेरी आँखे बहे,मुझसे कहें,तुम भी…
ContinueAdded by मनोज अहसास on January 28, 2024 at 11:07pm — 3 Comments
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1
मुझे महसूस करते थे खुशी से
मगर ये अब न कहना तुम किसी से
2
मुझे चाहत नहीं है अब किसी की
मुझे चाहत रही है पर सभी से
3
तुम्हारा नाम ही था कॉल में पर
मैं बातें कर रहा था अजनबी से
4
तनाफुर दिखता होगा शेर में अब
मैं शायद थक चुका हूँ शाइरी से
5
मैं अपने ग़म में ही मदहोश हूँ पर
हमें काफिर रिझाते मयकशी से
6
शुतुरगर्बा जबां पर आ गया है
बिठायें संतुलन कैसे सभी से
7
ये ज़ख़्मी शब्द हैं खामोश,रीते
तुझे…
Added by मनोज अहसास on January 28, 2024 at 10:05pm — No Comments
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