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मेरी बेटी( दूसरी कविता) मनोज कुमार अहसास

मेरी बेटी
तपता सूरज
जब माथे पर सुलग रहा है
दो बातें अपने सीने की तेरे हिस्से मे रखता हूँ
ये सूरज एक बड़ा परीक्षक
ये सूरज एक बड़ा तपस्वी
ये सूरज एक सत्य अटल है
ये सूरज एक महा अनल है
इस सूरज के संरक्षण मे
जीवन के सब अर्थ खुलेगे
इस सूरज के साथ तू चलना
देख गगन से शब्द मिलेगें
चुपके चुपके....सुलग सुलग कर
चमक में हिस्सा मिल जाता है
तपते रहने से रंग जीवन का
एक ना एक दिन खिल जाता है
तपना जीवन को रंगना है
वरना सब फीका फीका है
इस सूरज को साथ में लेकर
तुझको जीवन भर तपना है
बेरंग हो चुकी है ये दुनिया
सतरंगी रंगो से इसको
बिटिया फिर से रंग देना है
सारे जग को रंग देना है
कभी अगर अकेला पाओ खुद को
और पापा भी साथ नहीं हो
इतना समझ लेना मेरी गुड़िया
सूरज तेरे साथ खड़ा है
इंद्रधनुष के रंगों को लेकर
तुझको उसके साथ है चलना
तपना,चलना,जीवन को रंगना
सारे जग को रंग देना
सारे जग को रंग देना



मौलिक और अप्रकाशित

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Comment

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Comment by मनोज अहसास on July 11, 2015 at 9:35pm
आदरणीय सचिन देव जी हार्दिक आभार
सादर
Comment by Sachin Dev on July 10, 2015 at 5:25pm

लाजबाव उदगार ....... आदरणीय मनोज कुमार जी...... हार्दिक नमन आपको इस प्रेरणास्पद रचना के लिए ! 

Comment by मनोज अहसास on June 28, 2015 at 12:02pm
आदरणीय डॉ मिश्रा जी
बहुत आभार
सादर
Comment by Dr Ashutosh Mishra on June 28, 2015 at 8:46am

आदरणीय मनोज जी .बिटिया को सार्थक सन्देश के माध्यम से आपने सभी को एक सार्थक सन्देश दिया है सूरज के माध्यम से ..बहुत ही सुंदर रचना है  मेरी हार्दिक बधाई स्वीकार करें सादर 

Comment by मनोज अहसास on June 19, 2015 at 2:41pm
आदरणीय vijay nikore जी हार्दिक आभार
सादर
Comment by मनोज अहसास on June 19, 2015 at 2:40pm
आदरणीय vinaya kumar singh जी सादर धन्यवाद
Comment by विनय कुमार on June 18, 2015 at 12:04am

आ० मनोज कुमार एहसास जी , सार्थक सन्देश अपनी बिटिया के लिए, बहुत बहुत शुभकामनाएं..

Comment by vijay nikore on June 17, 2015 at 11:26pm

इस अति सुन्दर रचना के लिए हार्दिक बधाई।

Comment by मनोज अहसास on June 5, 2015 at 8:19pm
शुक्रिया आ.Rajesh kumari ji
इस तरह की एक कविता और भी डाली गयी है गुब्बारे शीर्षक से
कृपिया उसे भी पढ़े और आशीर्वाद दे इस अस्तित्व ढ़ुढ़ते अधूरे लेखन को
सादर

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by rajesh kumari on June 5, 2015 at 8:07pm

आ० मनोज कुमार एहसास जी ,बहुत ही हृदय स्पर्शी रचना है अतिसुन्दर दिल से बधाई  आपको |

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