चल झूठ रूठना है तेरा
आंखें सब बतलातीं है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
आँखों से अब ना आस गिरा
बातों पे रख विश्वास जरा
जाने दे मत रोक मुझें
सर पे दुनियां दारी है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
न तू भूलीं न मैं भुला
जब झूलें थे सावन झुला
मौसम अब के बरसातीं है
कोयलिया जब गाती है
याद मीत की आती है
चलतें थे तट पे साथ प्रिये
नटखट हाथों में हाथ…
ContinueAdded by shashiprakash saini on January 19, 2012 at 4:00am — 2 Comments
आदरणीय योगराज प्रभाकर जी से प्रभावित होकर मैंने भी छन्न पकैया में कुछ लिखने का प्रयास किया है. मेरी मूल रचना में कुछ कमियाँ थी जो योगराज जी ने सुधारी, योगराज सर आपका बहोत बहोत शुक्रिया. वरिष्टजनों का मार्गदर्शन चाहूँगा !
.
छन्न पकैया , छन्न पकैया , मेहनत की है रोटी,
कहने को युवराज है, लेकिन बाते छोटी-छोटी ||१||
.
छन्न पकैया, छन्न पकैया , खूब बड़ी महंगाई
कुर्सी पे हाकिम जो बैठा , शुतुरमुर्ग है भाई…
ContinueAdded by shashiprakash saini on January 4, 2012 at 2:30pm — 17 Comments
सवाल करता बहुत देता उसे कोई जवाब नहीं
पढ़े कैसे वो दुनिया ने दी उसे कोई किताब नहीं
स्कूल की खिडकियों पे लगाए कान सुनता है
अगर अन्दर पनपते फूल क्या वो गुलाब नहीं
जूठे बर्तन धोते हुए पूरा बचपन बिताता है
लोग…
Added by shashiprakash saini on January 2, 2012 at 12:00am — 6 Comments
तेरा अक्स मेरे अक्स से कितना मिलता है
जो आइने हमने बनाए है वो अलग बात कहे
पर उसकी तस्वीर में तुभी मुझसा दीखता है
तेरा अक्स मेरे अक्स से कितना मिलता है
वो अपने नियम शख्स दर शख्स नहीं बदलता है
उसके तराजू में सब एकसा तुलता है
भेद करे तो करे कैसे वो
न तो उसको तन दीखता है
न धन दीखता है
उसके दर्पण में बस मन…
ContinueAdded by shashiprakash saini on January 1, 2012 at 1:00pm — 2 Comments
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |