तन की नक्काशी कही धोखा ना देदे
मन से पुकारे की एक आवाज की जरुरत है
साथ तेरे चलने से जले या ना जले दुनिया
पर क़यामत तक चले की तेरे साथ की जरुरत है
झुर्रियाँ बाल सफ़ेद
सब उम्र के फरेब
तन न भाया भाया मन
दिल में दिखा न ऐब
दिल-ए-जज़्बात को तेरे जज़्बात की जरूरत है
ईट पत्थर से कोई घर न बना है
पत्थर जड़ा के ताज में कोई सुन्दर न बना है
अपनों की दुआ मिले
तो घर भी बना ले
दिल जीत लाए तो सुन्दर भी बना ले
आशीर्वाद देता रहे उस हाथ की जरुरत है
है नयी दुनिया पर दस्तूर पुरानी
प्रेम सच्चा हो तभी चलती है कहानी
मै दिल से बात करता
तू भी दिल से बात कर
न मै किसी से डरता
न तू किसी से डर
दुनिया नयी होगी पर बात पुरानी
प्यार खरा हो तभी बढती है कहानी
: शशिप्रकाश सैनी
Comment
सराहना हेतु आभार संदीप जी
आदरणीय शशिप्रकाश जी,
बहुत ही उम्दा भावों की प्रस्तुति| साभार,
आप सब ने मेरे भावो को सराहा इस के लिए दिल से आभारी हू
सौरभ सर , आनंद जी , डॉ. प्राची जी और प्रदीप जी का धन्यवाद
ईट पत्थर से कोई घर न बना है
पत्थर जड़ा के ताज में कोई सुन्दर न बना है
अपनों की दुआ मिले
तो घर भी बना ले
वाह !
दस्तूर संभवतः पुल्लिंग है. कृपया आश्वस्त होलें.
शुभेच्छा
ईट पत्थर से कोई घर न बना है
पत्थर जड़ा के ताज में कोई सुन्दर न बना है
अपनों की दुआ मिले
तो घर भी बना ले
दिल जीत लाए तो सुन्दर भी बना ले
आशीर्वाद देता रहे उस हाथ की जरुरत है
अपनो की दुआ बहुत ज़रूरी है. बधाई.
सराहना हेतु आभार मीनू जी
सैनी जी
सच कहा आपने,साथी मनचाहा हो तो तकलीफें भी अच्छी लगने
लगती है,सुंदर रचना
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