कैसे अपने देश की
नाव लगेगी पार?
पढ़ा रहे हैं जब सबक़
राजनीति के घाघ
जिनके हाथ भविष्य की
नाव और पतवार
वे युवजन हैं सीखते
गाली के अम्बार
अपने को कविवर समझ
वाणी में विष घोल
मानें बुध वह स्वयं को
उनके बिगड़े बोल
वेद , पुराण, उपनिषद
सत्य सनातन भाष्य
समझ सके न आज भी
साल पचहत्तर बाद
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on January 24, 2022 at 10:18am — 4 Comments
एक साथ यदि सारी दुनिया
क्वारन्टाइन हो जाए
सदा सर्वदा दूर संक्रमण
जग से निश्चित ही जाए
प्रलयंकारी अस्त्र-शस्त्र
ग़र सभी साथ में नष्ट करें
सारे देश सम्मुनत, हर्षित
सर्व सुखों का भोग करें
वन उपवन से प्रकृति सुसज्जित
मानव का कल्याण करे
नित नवीन होता परिवर्तन
सुखद, सात्विक मोद भरे
सकल विश्व का मंगल तय तब
चँहु दिशि व्यापे खुशहाली
सुन्दर पर कल्पित, सपना है
यह पुलाव तो है…
ContinueAdded by Usha Awasthi on January 2, 2022 at 11:31am — 3 Comments
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