2122 2122 2122
आज तुम यह क्या किये बैठे हुए हो
बेवजह का गम लिये बैठे हुए हो।1
कौन सुनता है यहाँ कुछ बात ढब की
दिल नसीहत को दिये बैठे हुए हो।2
और होता मौन का मतलब यहाँ पर
क्या पता क्यूँ मुँह सिये बैठे हुए हो।3
बदगुमानों की यहाँ बल्ले हुई बस
आशिकी का भ्रम जिये बैठे हुए हो।4
एक से बढ़ एक नगमे बुन रहे…
Added by Manan Kumar singh on January 29, 2017 at 12:26pm — 16 Comments
2122 2122 212
देखिये सबको रिझातीं टोपियाँ
नाच कितनों को नचातीं टोपियाँ।1
आपकी धोती कहाँ महफूज है?
फाड़कर कुर्ते बनातीं टोपियाँ।2
जो नहीं सोचा कभी था आपने
रंग वैसे भी दिखातीं टोपियाँ।3
पीठ पर दे हाथ वे पुचकारतीं
पेट में ख़ंजर चुभातीं टोपियाँ।4
दोस्ती का दे हवाला हर बखत
दुश्मनी फिर-फिर निभातीं…
Added by Manan Kumar singh on January 26, 2017 at 9:51am — 6 Comments
22 22 22 22
तिरछी हो जाती नजरें हैं
अश्कों की कटती फसलें हैं।1
धड़कन माफिक साँसें चलतीं
प्यास बनी ये दो पलकें हैं।2
लहराती बदली-बाला तू,
उड़ जाती, फिर सपने टें हैं।3
खूब जमाये रंग सभी ने
अल्फाजी उनकी फजलें हैं।4
लोग लिये हैं संग विधाएँ
अपने पास महज गजलें हैं।5
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मौलिक व अप्रकाशित@
Added by Manan Kumar singh on January 14, 2017 at 10:30am — 13 Comments
Added by Manan Kumar singh on January 9, 2017 at 7:00am — 8 Comments
Added by Manan Kumar singh on January 8, 2017 at 12:30pm — 11 Comments
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