For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

2122 2122 212

चोटियों को हैं चिढातीं बेटियाँ
अब गगन को भी लजातीं बेटियाँ।1

हो रहे रोशन अभी घर देखिये
रूढ़ियों को तो खपातीं बेटियाँ।2

अब नहीं काँटे चुभेंगे पाँव में
रास्ते फिर से बनातीं बेटियाँ।3

बाँटते- चलते यहाँ सब घर अभी
टूटने से तो बचातीं बेटियाँ।4

फूल की ख्वाहिश पिरोना छोड़िये
शूल को माथे चढातीं बेटियाँ।5

साफ दामन तो रहा है आपका
कालिमा कितना उठातीं बेटियाँ?6

बन धरा जो आसमां को ढ़ो रहीं
देखिये जग को सुहातीं बेटियाँ।7
मौलिक व अप्रकाशित@मनन

Views: 506

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Manan Kumar singh on January 13, 2017 at 8:07pm
आभारी हूँ आदरणीय गिरिराज भाई।

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on January 11, 2017 at 9:48pm

आदरनीय मनन भाई , काफिये मे समान व्यंजन के पहले का स्वर सामय भी ज़रूरी है , 

अ स्वर साम्य को साम्य नही माना जाता --  इसीलिये

मापती और बोलती  मे   समान व्यंजन  ती हटाने के बाद    माप और बोल बच रहा है    , जिसमे कोई साम्य नही है , अतः काफिया दोष पूर्ण है  , अर्थात नही है ।

Comment by Manan Kumar singh on January 10, 2017 at 3:16pm
अब परिमार्जित रूप में।
Comment by Manan Kumar singh on January 9, 2017 at 4:54pm
आदरणीय मित्रों का आभार,तुरत परिमार्जन करता हूँ।
Comment by नाथ सोनांचली on January 9, 2017 at 3:07pm
आदरणीय मनन जी सादर अभिवादन, इस रचना पर बधाई, शायद यह गजल नहीं है क्या? या है तो काफिया?

सदस्य कार्यकारिणी
Comment by मिथिलेश वामनकर on January 9, 2017 at 2:12pm

आदरणीय मनन जी इस बार बिना काफ़िये के ही ग़ज़ल ?

Comment by Samar kabeer on January 9, 2017 at 2:02pm
जनाब मनन कुमार सिंह जी आदाब,ग़ज़ल में क़ाफ़िया क्या लिया है भाई ?
Comment by Mohammed Arif on January 9, 2017 at 10:48am
आदरणीय मनन कुमारज,बेटी सशक्तिकरण को रेखांकित करती ग़ज़ल के लिए ढेरों.बधाईयाँ स्वीकार करें । सादर.

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय लक्ष्मण धामी भाई मुसाफ़िर जी आदाब ग़ज़ल का अच्छा प्रयास हुआ है बधाई स्वीकार करें, आदरणीय…"
40 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"मुहतरमा ऋचा यादव जी आदाब, ग़ज़ल पर आपकी आमद और सुख़न नवाज़ी का तह-ए-दिल से शुक्रिया।"
46 minutes ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"सम्माननीय ऋचा जी सादर नमस्कार। ग़ज़ल तकआने व हौसला बढ़ाने हेतु शुक्रियः।"
49 minutes ago
अमीरुद्दीन 'अमीर' बाग़पतवी replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"//मशाल शब्द के प्रयोग को लेकर आश्वस्त नहीं हूँ। इसे आपने 121 के वज्न में बांधा है। जहाँ तक मैं…"
50 minutes ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी नमस्कार बहुत ख़ूब ग़ज़ल हुई है हर शेर क़ाबिले तारीफ़ है गिरह ख़ूब हुई सादर"
1 hour ago
Richa Yadav replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय दिनेश जी बहुत शुक्रिया आपका  सादर"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आ. भाई महेन्द्र जी, अभिवादन। गजल का प्रयास अच्छा हुआ है। हार्दिक बधाई। गुणीजनो की सलाह से यह और…"
3 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
शिज्जु "शकूर" replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी, बेह्तरीन ग़ज़ल से आग़ाज़ किया है, सादर बधाई आपको आखिरी शे'र में…"
6 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीया ऋचा जी बहुत धन्यवाद"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमीर जी, आपकी बहुमूल्य राय का स्वागत है। 5 में प्रकाश की नहीं बल्कि उष्मा की बात है। दोनों…"
7 hours ago
Sanjay Shukla replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय अमित जी। आप की मूल्यवान राय का स्वागत है।  2 मय और निश्तर पीड़ित हृदय के पुराने उपचार…"
7 hours ago
DINESH KUMAR VISHWAKARMA replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-165
"आदरणीय महेंद्र कुमार जी नमस्कार। ग़ज़ल के अच्छे प्रयास हेतु बधाई।"
7 hours ago

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service