हार का हाहाकार .....
ऐसा क्यों हो कि मेरी हार हो
लाख सच की मनुहार हो
आँखें बंद कर लूँ न ?
कह दूँ यह बहार नहीं
चाहे खूब हाहाकार हो....!
पर मेरी जय जयकार हो !
कह दूँ, वो मेरी माँ नहीं है
मैं उसका जाया नहीं हूँ,
बाप को पहले ही मार चुका हूँ
सच का हिसाब चुकता कर चुका हूँ
हरकारे एक नहीं कई, मेरे पास हैं ही.....
होने दो हल्ला....खूब खाओ गल्ला...
पर नाहक सच मत बोलो यार
झूठा हूँ…
ContinueAdded by Chetan Prakash on January 30, 2022 at 5:00pm — No Comments
विछोह मुझे मिलन लगता है.....!
जीना मुझे यज्ञ में आहुति
मरना गंगा जल लगता है
जब से होठ, छुए होठों से,
गाँव गुमा शहर वो लगता है
विछोह मुझे मिलन लगता है !
अथाह गहरा है समन्दर वो
मगर मोती सीप रहता है
पालनहार जानता सब कुछ,
रू में उसकी वो खुद रहता है
विछोह मुझे मिलन लगता है !
ग़ज़ल मुझे बाँसुरी कान्हा की
दिल वो अलगोझा लगता है
तेरे मेरे बोझ दुखों …
ContinueAdded by Chetan Prakash on January 1, 2022 at 12:23pm — No Comments
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