Added by Sushil Sarna on January 30, 2020 at 4:00pm — 4 Comments
चंद क्षणिकाएँ :......
होती है
बिना हत्या के भी
हत्या
अदृश्य भावों की
खून की लालिमा से भी गहरे
लाल रिश्तों की
................
तमन्नाओं का झुंड
बेबसी की बेड़ियाँ
मिट गई ज़िंदगी
रगड़ते- रगड़ते
ऐड़ियाँ
फुटपाथ पर
............................
भूख की झंकार
प्रश्नों का अम्बार
पेट का संसार
.............................
रिश्तों के राग
पैसे की आग
झुलसे…
Added by Sushil Sarna on January 11, 2020 at 8:42pm — 6 Comments
दिल की बात .... एक प्रयास ...
कैसे बोलूँ मैं भला, अपने मन की बात।
ताने देंगे सब मुझे, जब होगी प्रभात।।
नैनों की ये सुर्खियाँ, बिखरे-बिखरे बाल।
कह देंगे सब बेशरम,कैसी बीती रात।।
नैनों के संवाद में, दिल ने मानी हार।
बेकाबू फिर हो गए, अंतस के जज़्बात।।
प्रणय पलों में अंततः, हारे सब स्वीकार।
अवगुंठन में रैन के, खूब हुए उत्पात।।
अंग -अंग में रच गयी प्रथम प्रीत की गंध।
श्वास-श्वास में बस गई, वो मधुर…
Added by Sushil Sarna on January 7, 2020 at 9:09pm — 8 Comments
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