तन्हाई में ...
होती है
बहुत ज़रूरत
तन्हाई में
तन्हा हाथ को
अपने से
एक हाथ की
बोलता रहे
जिसका स्पर्श
सदियों तक
अलसाई सी तन्हाई में
सुशील सरना
मौलिक एवं अप्रकाशित
Comment
आदरणीय vijay nikore जी सृजन पर आपकी आत्मीय प्रशंसा का दिल से शुक्रिया।
अच्छी रचना के लिए बधाई, आदरणीय सुशील जी।
आदरणीय narendrasinh chauhan जी सृजन के भावों को अपनी स्नेहाशीष से अलंकृत करने का दिल से आभार।
आदरणीय Samar kabeer जी सृजन के भावों को अपनी स्नेहाशीष से अलंकृत करने का दिल से आभार।
ख़ूब सुंदर रचना
जनाब सुशील सरना जी आदाब,अच्छी कविता हुई,बधाई स्वीकार करें ।
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