दिलनशीं और पुरमहक, किरदार होना चाहिए |
प्यार है दिल में अगर, तो प्यार होना चहिये ||
अहद कर लो, ना बुराई हम करेंगे, उम्र भर |
चाहो गिर्द अपने अगर, गुलज़ार होना चाहिए ||
छोड़ के खुदगार्जियाँ, खल्क-ए-खुदा की सोचिये |
मुफलिस-ओ-लाचार का, गमख्वार होना चाहिए ||
राह की दुश्वारियाँ, सब दूर करने के लिए |
हमसफ़र, हमराह, रब्ब सा, यार होना चाहिए ||
जानते हो मायने, गर लफ्ज़े-उल्फत के ‘शशि’ |
तब मोहम्मद मुस्तफ़ा से, प्यार…
Added by Shashi Mehra on February 25, 2013 at 2:00pm — 7 Comments
जिसके हक़ में, मैं सदा, दिल से दुआ करता रहा |
वो हमेशा, मुझपे जाने, क्यूँ शुबहा करता रहा ||
दोस्त था कहने को मेरा, दोस्ती न कर सका |
दोस्ती के नाम पर ही वो, दगा करता रहा ||
हमकदम था चल रहा, पर हमनफस न बन सका |
मैं भला करता रहा, और वो बुरा करता रहा…
ContinueAdded by Shashi Mehra on February 25, 2013 at 2:00pm — 8 Comments
जिसने खुद को ही, ज़माने से छुपा रखा है |
जाने किस शख्स ने नाम उसका, खुदा रखा है ||
सब बहाने से उसे, याद किया करते हैं |
दिल में दुनियाँ के, अजाब खौफ बिठा रखा है ||
हाथ तकदीर बनाने के ही, काम आते हैं |
क्या हथेली की लकीरों में, भला रखा है ||…
ContinueAdded by Shashi Mehra on February 23, 2013 at 2:02pm — 7 Comments
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