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प्यार होना चाहिए ...

दिलनशीं और पुरमहक, किरदार होना चाहिए |
प्यार है दिल में अगर, तो प्यार होना चहिये ||

अहद कर लो, ना बुराई हम करेंगे, उम्र भर |
चाहो गिर्द अपने अगर, गुलज़ार होना चाहिए ||

छोड़ के खुदगार्जियाँ, खल्क-ए-खुदा की सोचिये |
मुफलिस-ओ-लाचार का, गमख्वार होना चाहिए ||

राह की दुश्वारियाँ, सब दूर करने के लिए |
हमसफ़र, हमराह, रब्ब सा, यार होना चाहिए ||

जानते हो मायने, गर लफ्ज़े-उल्फत के ‘शशि’ |
तब मोहम्मद मुस्तफ़ा से, प्यार होना चाहिए ||

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Comment by वीनस केसरी on February 26, 2013 at 12:22am

बहुत खूब

Comment by ram shiromani pathak on February 25, 2013 at 9:01pm

बहुत खूब!

राह की दुश्वारियाँ, सब दूर करने के लिए |
हमसफ़र, हमराह, रब्ब सा, यार होना चाहिए ||

Comment by विन्ध्येश्वरी प्रसाद त्रिपाठी on February 25, 2013 at 8:49pm
आदरणीय शशि जी!एक बढ़िया कहन वाली गजल के लिये ढेरों दाद कुबूल करें।
यद्यपि मुझे स्वयं भी गजल के नियम कानून के बारे में विशेष जानकारी नहीं है तथापि ऐसा आभास होता है कि यह गजल बह्र में नहीं है।फिल्हाल इस विषय पर गुरुजन ही कुछ कह सकते हैं।
सादर

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on February 25, 2013 at 8:48pm

अच्छा प्रयास हुआ है, आदरणीय.

Comment by SANDEEP KUMAR PATEL on February 25, 2013 at 8:13pm

वाह बहुत खूब

राह की दुश्वारियाँ, सब दूर करने के लिए |
हमसफ़र, हमराह, रब्ब सा, यार होना चाहिए ||

दाद क़ुबूल कीजिये सर जी

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on February 25, 2013 at 6:13pm
उम्दा गजल के लिए बधाई शशि महरा जी -
जानते तो नहीं, लफ्ज़े-उल्फत के लक्ष्मण,
मोहम्मद मुस्तफ़ा से, प्यार होना चाहिए ।
Comment by बृजेश नीरज on February 25, 2013 at 6:01pm

बहुत खूब!

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