For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धर्मेन्द्र कुमार सिंह's Blog – February 2016 Archive (3)

तेरे इश्क़ में जब नहा कर चले (ग़ज़ल)

बह्र : १२२ १२२ १२२ १२

 

सभी पैरहन हम भुला कर चले

तेरे इश्क़ में जब नहा कर चले

 

न फिर उम्र भर वो अघा कर चले

जो मज़लूम का हक पचा कर चले

गये खर्चने हम मुहब्बत जहाँ

वहीं से मुहब्बत कमा कर चले

 

अकेले कभी अब से होंगे न हम

वो हमको हमीं से मिला कर चले

 

न जाने क्या हाथी का घट जाएगा

अगर चींटियों को बचा कर चले

 

तरस जाएगा एक बोसे को भी

वो पत्थर जिसे तुम ख़ुदा कर…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 23, 2016 at 5:57pm — 10 Comments

काले काले घोड़े (नवगीत)

पहुँच रहे मंजिल तक

झटपट

काले काले घोड़े

 

भगवा घोड़े खुरच रहे हैं

दीवारें मस्जिद की

हरे रंग के घोड़े खुरचें

दीवारें मंदिर की

 

जो सफ़ेद हैं

उन्हें सियासत

मार रही है कोड़े

 

गधे और खच्चर की हालत

मुझसे मत पूछो तुम

लटक रहा है बैल कुँएँ में

क्यों? खुद ही सोचो तुम

 

गाय बिचारी

दूध बेचकर

खाने भर को जोड़े

 

है दिन रात सुनाई देती

इनकी टाप सभी…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 14, 2016 at 11:03am — 4 Comments

रुक गई बहती नदी (नवगीत)

काम सारे

ख़त्म करके

रुक गई बहती नदी

ओढ़ कर

कुहरे की चादर

देर तक सोती रही

 

सूर्य बाबा

उठ सवेरे

हाथ मुँह धो आ गये

जो दिखा उनको

उसी से

चाय माँगे जा रहे

 

धूप कमरे में घुसी

तो हड़बड़ाकर

उठ गई

 

गर्म होते

सूर्य बाबा ने

कहा कुछ धूप से

धूप तो

सब जानती थी

गुदगुदा आई उसे

 

उठ गई

झटपट नहाकर

वो रसोई में…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on February 2, 2016 at 3:44pm — 12 Comments

Monthly Archives

2025

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-184

परम आत्मीय स्वजन,ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरे के 184 वें अंक में आपका हार्दिक स्वागत है | इस बार का…See More
6 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post "मुसाफ़िर" हूँ मैं तो ठहर जाऊँ कैसे - लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। विस्तृत टिप्पणी से उत्साहवर्धन के लिए हार्दिक आभार।"
18 hours ago
Chetan Prakash and Dayaram Methani are now friends
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
""ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179 को सफल बनाने के लिए सभी सहभागियों का हार्दिक धन्यवाद।…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय जयहिंद रायपुरी जी, प्रदत्त विषय पर आपने बहुत बढ़िया प्रस्तुति का प्रयास किया है। इस…"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई जयहिंद जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"बुझा दीप आँधी हमें मत डरा तू नहीं एक भी अब तमस की सुनेंगे"
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। गजल पर विस्तृत और मार्गदर्शक टिप्पणी के लिए आभार // कहो आँधियों…"
yesterday
Jaihind Raipuri replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"कुंडलिया  उजाला गया फैल है,देश में चहुँ ओर अंधे सभी मिलजुल के,खूब मचाएं शोर खूब मचाएं शोर,…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी मेरे प्रयास को मान देने के लिए हार्दिक आभार। बहुत बहुत धन्यवाद। सादर।"
Saturday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-179
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी आपने प्रदत्त विषय पर बहुत बढ़िया गजल कही है। गजल के प्रत्येक शेर पर हार्दिक…"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service