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KALPANA BHATT ('रौनक़')'s Blog – February 2019 Archive (2)

ज़हरीली हवा (कविता)

 यह कैसी हवा ज़हरीली,

नफ़रत से भरी

विषकन्या क्या पुनः जीवित हो उठी है

आतंकी गलियारों में

वो वहाँ ख़ूनी होली खेली किसीने

संतुष्ट हुआ होगा  क्या वह

अपने कर्तव्य को पूर्ण कर

घर जाकर क्या सुकूँ से सोया होगा!

ये कैसे धर्म ?

कैसा आचरण ?

कैसी शिक्षा ?कैसा प्रण?

मृत्यु अटल सत्य है

क़त्ल-ए-आम!

यह कैसा कृत्य है?

क्या औलाद ऐसी होती है?

जो माँ की छाती छलनी करती है

और वे माताएँ जिनकी

ऐसी…

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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 26, 2019 at 10:49pm — 4 Comments

अनकहा रिश्ता (लघुकथा)

9 फ़रवरी 2019

प्रिय डायरी

आज साईट पर कनक अम्मा की हालत देखकर मन भारी हो गया। तुम तो जानती ही हो, कनक अम्मा बाऊजी के समय से अपनी कम्पनी से जुड़ी है। बाऊजी को यह अन्ना दादा कहती थी। बाऊजी को तो तुमने भी देखा है, नहीँ तुम न थी उस वक़्त मेरे साथ तुम्हारी बड़ी बहन थी, मैं उससे अपनी बातें साझा किया करता था, जैसे मैं आज तुमसे करता हूँ। यह क्या मैं भटक गया... हाँ तो मैं कहाँ था। हाँ, कनक अम्मा की बात बता रहा था न मैं। आज वह रोज़ की तरह सीमेंट की तगाड़ी लेकर सीढ़ियों पर चढ़ रही थी कि वह फिसल…

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Added by KALPANA BHATT ('रौनक़') on February 16, 2019 at 9:48am — 4 Comments

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