गाँव की धरती
गाँव की छवि अति निराली
शहर से छटा उसकी है न्यारी
गगनचुंबी से मुक्त धरा है होती
खुले आकाश सँग बातें ज्यादा है होती ।
सुबह सवेरे गाय बैल जगाते
दुग्ध धोने अपने ग्वाल को पुकारते
रुनझुन करती आती श्यामा
खुश हो जाती घर में दादी माँ
हल लेकर खेतो को निकलते
मेहनतकश पुरुष पसीना बहाते
बरगद नीम की छाँव तले बैठकर
खाते रोटी अचार चटनी प्याज मिलकर
हँसी ठट्ठा औ कोलाहल होता
हर घर से अपनापन है मिलता
सब कोई चाचा ताऊ हैं होते
दादी नानी सँग खेले पोते
खाना पीना सरल सात्विक है होता
न कोई यहाँ पिज़्ज़ा बर्गर है होता
सुनती हूँ आवाज़ कहीं से
लगता आती पुकार वहीं से
नदी किनारे बरगद कदम की डाली
विधाता होता है इसका माली
ले चल मन ऐसी ही जगह पर
मन नहीं लगता अब और कहीं पर।
Comment
सुप्रभात आदरणीय लक्ष्मण धामी जी, हो जाता है। आप ने रचना पढ़ी यही बहुत है। सादर।
आ. कल्पना बहन, शायद यह टिप्पणी लिखते समय दिमाग किसी लघुकथा की ओर भटक गया लगता है। अन्यथा न लें। लिखना कविता ही था सादर....
धन्यवाद आदरणीय लक्ष्मण धामी जी पर मैंने तो कविता लिखी है लघुकथा ???
धन्यवाद आदरणीय समर भाई। आशा करती हूँ आप स्वस्थ होंगे!
आ. कल्पना बहन, सादर अभिवादन। सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।
अच्छी कविता लिखी है बहना, इस प्रस्तुति पर बधाई स्वीकार करें ।
धन्यवाद आदरणीय सुशील सारना जी | आपको प्रस्तुति सुंदर लगी मेरा प्रयास सार्थक हुआ | प्रणाम आदरणीय|
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |
You need to be a member of Open Books Online to add comments!
Join Open Books Online