आंखों देखी -14 एक नये अध्याय की सूचना
05 दिसम्बर 1986 के दिन पहली बार जहाज “थुलीलैण्ड” के साथ हम लोगों का रेडियो सम्पर्क स्थापित हुआ. अभी भी नये अभियान दल को अंटार्कटिका पहुँचने में लगभग तीन सप्ताह का समय लगना था, लेकिन मन में कितने ही मिश्रित भाव उमड़ने लगे. जहाज मॉरीशस के इलाके में था. एक साल पहले वहाँ से गुजरते हुए हम लोगों को जहाज से उतरने की अनुमति नहीं मिली थी. क्या वापसी यात्रा में हम मॉरीशस की धरती पर उतरेंगे ? कौन जाने ! फिलहाल जहाज के आने की प्रतीक्षा है – उसमें…
ContinueAdded by sharadindu mukerji on March 31, 2014 at 1:30am — 17 Comments
इक उसके चले जाने से कुछ पास नही है
ज़िंदा हूँ मगर जीने का एहसास नही है
वो दूर गया जब से ये बेजान है महफिल
साग़र है सुराही हैं मगर प्यास नही है
सुनने को तिरे पास भी जब वक़्त नही तो
कहने को मिरे पास भी कुछ ख़ास नहीं है
इस रूह के आगोश में है तेरी मुहब्बत
माना के तिरा प्यार मिरे पास नही है
रावण तो ज़माने में अभी ज़िंदा रहेगा
क़िस्मत में अभी राम के बनवास नही है
फिर कैसे यक़ी तुझपे करेगा ये ज़माना,
ख़ुद तुझको…
Added by डॉ. सूर्या बाली "सूरज" on March 18, 2014 at 11:30pm — 21 Comments
Added by Anurag Anubhav on March 14, 2014 at 10:59pm — 25 Comments
मैं गिड़गिड़ाता रहा हूँ
रात दिन
तुम सबके सामने
जितने भी सम्बन्ध हो
कल आज और कल के
इस उम्मीद के साथ /कि
तुम थोड़ा पिघलोगे
भले ही अनिच्छा से
मेरा मान रखोगे
यह भ्रम /जीवन भर
साथ चलता रहा है
इसीलिये सब सहा है
यह सुनते ही तुम
मेरे विरोध में
खड़े हो जाओगे
और शायद फिर
मुझे गिड़गिड़ाता पाओगे
मैं अपना वक्तव्य बदलता हूँ
और इसे सार्वभौम /करता हूँ
फिर तुम्हारी और अपनी
ओर से कहता हूँ
मैं
मुझे…
Added by dr lalit mohan pant on March 9, 2014 at 10:23pm — 14 Comments
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