शौख से आशियाँ उजाड़ ,ये इख्तियार है तुझे ,
खानाबदोश हूँ ,ठहरना मेरी फितरत भी नहीं है
मेरे जख्मों पर नमक छिड़क गया ,वो आज ,
उसके ही दिए तोहफों कि याद दिला गया वो आज
उसकी नफरतों के जाम को भी
शांती कि कीमत समझ पिया…
ContinueAdded by Dr Dilip Mittal on March 21, 2014 at 7:22pm — 6 Comments
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