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Pawan amba's Blog – March 2013 Archive (4)

एक मुक्कमल इन्सां .......

एक मुक्कमल इन्सां .......]

ता उम्र टुकड़ों मे बंटता रहा

क्या मैं पूरा हूँ पूछ पूछ

आईने से लड़ता रहा

एक दिन वो भी सच बोल गया

गिर कर टुकड़ों मे बिखर गया

शांत झील मे पत्थर उछाल…

Continue

Added by pawan amba on March 16, 2013 at 10:00am — 1 Comment

बस यूँ ही.....काश ये हलके होते.....

बस यूँ ही.....काश ये हलके होते.....

 

बचपन के सपने

खुली आँखों के सपने

खुला आकाश 

आज़ाद पंछी

बहुत से उड़ गए

कुछ सफ़र पूरा कर

वापस पलकों पर आ गए 

 

और अब...

बंद आँखों में नींद कंहा

नींद कभी आई तो

सपने…

Continue

Added by pawan amba on March 13, 2013 at 7:43pm — 11 Comments

विशेष दिन....

विशेष दिन....

कलैंडर कैसा भी हो

अंधेरे मे भी चमकती है वो

मुझे अपने महबूब से भी

अधिक खूबसूरत लगती है वो...

शादी की हो सालगिरह या जन्मदिन

साल मे आते केवल एक बार

मगर हर महीने इनसे भी…

Continue

Added by pawan amba on March 7, 2013 at 12:17am — 8 Comments

पवन का:- दुख....

पवन का:- दुख...

लड्डू बने,थालिया बजी

लड़कों के होने पर

घर घर मिठाइयाँ बंटी

घर खुशियों से और

चेहरा अकड़ से भर गया ...

चूल्‍हे चाहे ठंडे रहे

अपना पेट जला…

Continue

Added by pawan amba on March 2, 2013 at 11:30pm — 8 Comments

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