है मुश्किल आई बड़ी , सारी दुनिया त्रस्त
मिल कर साथ खड़े रहें , कहता है यह वक्त
परमपिता का न्याय तो सबके लिए समान
अरबों के मालिक भले हों कोई श्रीमान
ईश्वर पर विश्वास का व्यर्थ मुलम्मा ओढ़
कर ना भ्रष्टाचार तू , जीवन यह अनमोल
प्रकृति हमें समझा रही , पर हित लें संकल्प
अन्य बचें तब हम बचें , दूजा नहीं विकल्प
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on March 28, 2020 at 5:30pm — 4 Comments
कोई भी भाषा हो , लेकिन
हिन्दी सी भला मिठास कहाँ ?
जो दिल से भाव निकलते हैं
वह कोमल सा अहसास कहाँ ?
है नर्तन मधुर तरंगों सा
अपना ' प्रणाम ' अन्यान्य कहाँ ?
जिससे झंकृत हृद - तार मृदुल
वह सुन्दरता , उल्लास कहाँ
जब बच्चा ' अम्मा , कहकर के
जा , माँ के गले लिपटता है
इस नैसर्गिक उद्बोधन में
अद्भुत आनन्द , हुलास कहाँ ?
कोई भी भाषा हो , लेकिन
हिन्दी सी भला मिठास कहाँ…
ContinueAdded by Usha Awasthi on March 27, 2020 at 9:33am — 10 Comments
कोरोना का संक्रमण सारे देश , जहान
है दुस्साध्य परिस्थिति , मुश्किल में है जान
इस संकट की घड़ी में हमको रहना एक
दृढ़ संकल्पित हों खड़े , भुला सभी मतभेद
सर्व हिताय खड़े हुए डा0 नर्स तमाम
पुलिस महकमे के लिए है आराम हराम
नित सफाई कर्मी करें बिना शिकन के काम
इनके सेवा भाव को शत , शत मेरा प्रणाम
आई है , टल जाएगी , यह जो बड़ी विपत्ति
अनुशासित घर में रहें बिना किसी आपत्ति
सब निरोग , सब हों सुखी , करना यही…
ContinueAdded by Usha Awasthi on March 25, 2020 at 5:32pm — 2 Comments
होरी खेलत कृष्ण मुरारी
वृज बीथिन्ह मँह , अजिर , अटारी
होरी खेलत कृष्ण मुरारी
अबिर , गुलाल मलैं गोपियन कै
लुकैं छिपैं वृज की सब नारी
ढूँढि - ढूँढि रंग - कुंकुम मारैं
घूमि - घूमि गोपी दैं गारी
श्याम सामने रोष दिखावहिं
पाछे मुसकावहिं सब ठाढ़ी
होरी खेलत कृष्ण मुरारी
चिहुँक - चिहुँक राधा पग धारहिं
श्याम पकरि चुनरी रंग डारहिं
विद्युत चाल चपल मनुहारी
लपक - झपक कीन्ही…
ContinueAdded by Usha Awasthi on March 13, 2020 at 1:30pm — 4 Comments
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