Added by Manan Kumar singh on March 29, 2017 at 7:31am — 13 Comments
Added by Manan Kumar singh on March 28, 2017 at 1:30pm — 5 Comments
#गजल#-103
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कुर्सियाँ किसकी हुई हैं बोलिये भी
गाँठ में क्या-क्या छिपा है खोलिये भी।1
आपको भी क्या न करना पड़ गया है
हो न सकते साथ जिनके,हो लिये भी।2
जानते सब कुर्सियों की कीमतें हैं
हम भुला खुद को जरा-सा तोलिये भी।3
घोलते आये फ़िजां में क्या नहीं कुछ
अब जहर फिरसे यहाँ मत घोलिये भी।4
कुर्सियों के ताव में कुछ कर गये थे
चोट खायी खूब हमने गो लिये। भी।5
@मौलिक व अप्रकाशित)
Added by Manan Kumar singh on March 27, 2017 at 9:30am — 9 Comments
212 212 212 212
लोग सब पूछते, हम कहाँ जा रहे
आ गये दिन भले या अभी आ रहे।2
कौन क्या कह गया याद अब है कहाँ
रेवड़ी देखकर खूब ललचा रहे।2
कुल जमा देखिये बादलों की कला
हर बरस बूँद में खार बरसा रहे।3
रात के हाथ से बुझ गयीं बत्तियाँ
बोलते भी जरा कौन दिन ला रहे।4
जोर से पीटते ढ़ोर सब ढ़ोल हैं
कोकिला चुप हुई काग बस गा रहे।5
मौलिक व अप्रकाशित@
Added by Manan Kumar singh on March 7, 2017 at 8:00pm — 20 Comments
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