दूर तक फैला हुआ है, राज सम्यक शान्ति ।
हूर जीवन - धौंकनी है, गूँजता वन शान्ति ।।
नीर सूखा नालियों का, आँख ज्यौं पानी नही ।
लाज जैसे मर गयी हो, आजमा जीवन कहीं ।।
एक चुप पसरा हुआ है, पर्वतों से घाट तक ।
देखिय़े तट सखिविहीना, कृष्ण-राधा ठाठ तक ।।
ज़िन्दगी यदि मर रही है जग, मारता मन आज मद ।
आदमी रहता यहाँ खुश, मन प्रकृति वन मौज- मद ।।
गाँव की शालीनता मिल जायगी क्या शहर में ।
हैं खुशी छोटी मगर सुख,…
ContinueAdded by Chetan Prakash on March 22, 2021 at 12:00am — No Comments
उतरा है मधु मास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !
जन गण के तन मन सुरा घुली
गुनगुनी धूप की चोट लगी
कली खुल, वन प्रसफुटित हुई,
मुस्काय बेला चमेली है !
उतरा है मधुमास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !!
कमल खिले हैं सरोवरों मेंं
मौज करे हम नावों में
मगन चिड़िया झील के तन हैं
वर बसन्त, प्रकृति मुस्काई है !
उतरा है मधुमास धरा पर
हर शय पर मस्ती छाई है !!
बाण चलाया कामदेव ने
घायल चम्पा गुलमोहर…
Added by Chetan Prakash on March 5, 2021 at 1:30am — 3 Comments
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