वर्तमान समय में हमारे बच्चों को मनोरंजन के अनेक साधन उपलब्ध हैं। इनमे सबसे प्रमुख है टी . वी . जिस पर प्रसारित होने वाले कार्टून बच्चों को बेहद पसंद आते हैं। पर बच्चे इनसे क्या सीखते हैं यह सोंच का विषय है।
कई कार्टून चरित्र जो बच्चों में बहुत लोकप्रिय हैं जैसे स्पाइडरमैन, बैटमैन, बेन टेन इत्यादि। बच्चे इन चरित्रों से बहुत…
ContinueAdded by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 25, 2013 at 11:30am — 7 Comments
हम हैं कौन, हमारी वास्तविक पहचान क्या है, क्या हम महज हाड़ मांस से बने शरीर मात्र हैं या इससे भी अलग हमारी कोई पहचान है।
ये प्रश्न सृष्टि के…
ContinueAdded by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 21, 2013 at 11:30am — 8 Comments
हमारे प्रथम रुदन से लेकर अंतिम श्वाश तक जीवन अनुभवों का एक सिलसिला है। सम्पूर्ण जीवन काल में हम प्रेम और घृणा, मान और अपमानं, ख़ुशी और गम आदि द्वंदों के बीच में झूलते रहते है। एक रोलर कोस्टर की भांति इसके उतार चढ़ाव हमें आकर्षित करते हैं।
"जीवन साईकिल की सवारी की भांति है। संतुलन बनाये रखने के लिए आगे बढ़ते रहना आवश्यक…
ContinueAdded by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 14, 2013 at 4:00pm — 10 Comments
जीवन में सभी के साथ कोई न कोई कठिनाई होती है। कठिनाईयां तो जीवन का एक हिस्सा हैं। उनसे हार नहीं मानना चाहिए। कठिनाईयों से लड़कर ही उनसे पार पाया जा सकता है न कि उनके सामने घुटने टेक कर। धैर्य, हिम्मत एवं थोड़ी सी सूझ बूझ से मुश्किलों का हराया जा सकता है। किन्तु अक्सर हम समस्याओं से इतने भयभीत हो जाते हैं कि अपना धैर्य खो बैठते हैं। समस्याओं के प्रति हमारा नकारात्मक रवैया हमें अधिक तकलीफ पहुंचाता है।
इसके लिए आवश्यक है कि हम…
ContinueAdded by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 7, 2013 at 7:30pm — 9 Comments
सामाजिक प्राणी होने के नाते हम सभी रिश्तों से घिरे रहते हैं। रिश्ते सामाजिक व्यवस्था का मूल आधार होते हैं। रिश्ते हमें आपस में बांधे रहते हैं। हमारे रिश्ते जितने मज़बूत होते हैं सामजिक ढांचा उतना ही मज़बूत बनता है।
प्रेम संबंधों को सबल बनाता है। स्वस्थ संबंधों के लिए आवश्यक है की हमारे बीच एक दूसरे के लिए आदर तथा आपसी समझबूझ हो। एक दूसरे के हित लिए अपने निजी स्वार्थों का त्याग रिश्तों को दीर्घायु बनाता है। रिश्ते हमें बहुत कुछ…
Added by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 2, 2013 at 8:00pm — 9 Comments
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