For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

जीवन जीने के लिए है

हमारे प्रथम रुदन से लेकर अंतिम श्वाश तक जीवन अनुभवों का एक सिलसिला है। सम्पूर्ण जीवन काल में हम प्रेम और घृणा, मान और अपमानं, ख़ुशी और गम आदि द्वंदों के बीच में झूलते रहते है। एक रोलर कोस्टर की भांति इसके उतार चढ़ाव हमें आकर्षित करते हैं।

"जीवन साईकिल की सवारी की भांति है। संतुलन बनाये रखने के लिए आगे बढ़ते रहना आवश्यक है।"

[अल्बर्ट आइंस्टीन]

उतार चढ़ाव तो जीवन का हिस्सा हैं। जीवन में कठिनाईयों का आना जाना लगा रहता है किन्तु हमें किसी भी परिस्तिथि में हार मानकर जीवन के प्रति उदासीन नहीं होना चाहिए। जीवन तो बहती नदी है। यदि इसका बहाव रुक जाए तो इसमें सड़ांध आ जाएगी। अतः हमें हर स्तिथि में आगे बढ़ते रहना चाहिए।

"जीवन स्वयं को खोजने का नाम नहीं। जीवन स्वनिर्माण के लिए है।" [जार्ज बर्नार्ड शॉ]

जीवन हम सभी को यह अवसर प्रदान करता है की हम अपने व्यक्तित्व का निर्माण कर सकें। हम सभी में कोई न कोई प्रतिभा अवश्य होती है। आवश्यकता है उसे पहचान कर उसे उभारने की। जीवन संसार के रंग मंच पर खेला जा रहा एक अनंत नाटक है जिसमें हम सभी अपनी भूमिका निभा रहे हैं। हमें चाहिए कि हम अपनी भूमिका अच्छी प्रकार निभाएं ताकि इस मंच को छोड़ कर जाते समय लोग तालियों के साथ हमें विदा करें।

'जीवन बहुत अप्रत्याशित है'

जीवन में सदैव वही नहीं होता जो हम सोंचते हैं। यह हमारे समक्ष अलग अलग रूपों में आता है। कभी हमको ऐसा महसूस होता है की हम मरुस्थल में भटक रहें हैं। ऐसे में जीवन बहुत कठिन जान पड़ता है। फिर अचानक किसी मोड़ पर ऐसा लगता है कि हम फूलों के बागीचे में खड़े हैं। जहाँ सब कुछ बहुत सुहावना है। किन्तु यह अनिश्चितता इसे और भी रोचक बना देती है।

"जीवन से भाग कर हम शांति नहीं पा सकते।"

[वर्जीनिया वुल्फ]

जीवन ईश्वर द्वारा दिया गया अनमोल तोहफा है। जीवन हमें मिला है की हम संघर्षों का सामना करते हुए स्वयं का विकास करें। इससे भाग कर कोई भी सुखी नहीं रह सकता है। हमें चाहिए कि जीवन के संघर्षों का डट कर सामना करें। पलायनवादी व्यक्ति उस पागल की तरह होता है जो अपनी ही छाया से दूर भागने का प्रयास करता है।

जीवन से भागें नहीं वरन इसका लुत्फ़ उठायें। जो भी हमारे समक्ष आये बिना किसी शिकायत के उसको अपनाएं। जीवन चाहे कैसा हो उसे भार स्वरुप न लें। हर परिस्तिथि में अपना सर ऊंचा रखें, सदैव प्रसन्न रहें और जीवन को पूर्ण रूप से जियें।

ईश्वर के इस उपहार की कद्र करें इसे व्यर्थ न जानें दें।

Views: 536

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Sheikh Shahzad Usmani on August 21, 2016 at 8:30pm
जीवन के हर पहलू से जुड़े महापुरषों के विचारों को सरल शब्दों में भावार्थ सम्प्रेषित करते प्रेरक आलेख के लिए बहुत बहुत हार्दिक धन्यवाद आदरणीय आशीष कुमार त्रिवेदी जी।
Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 16, 2013 at 11:30am

धन्यवाद

Comment by Yogi Saraswat on April 16, 2013 at 10:54am

जीवन ईश्वर द्वारा दिया गया अनमोल तोहफा है। जीवन हमें मिला है की हम संघर्षों का सामना करते हुए स्वयं का विकास करें। इससे भाग कर कोई भी सुखी नहीं रह सकता है। हमें चाहिए कि जीवन के संघर्षों का डट कर सामना करें। पलायनवादी व्यक्ति उस पागल की तरह होता है जो अपनी ही छाया से दूर भागने का प्रयास करता है।

जीवन से भागें नहीं वरन इसका लुत्फ़ उठायें। जो भी हमारे समक्ष आये बिना किसी शिकायत के उसको अपनाएं। जीवन चाहे कैसा हो उसे भार स्वरुप न लें। हर परिस्तिथि में अपना सर ऊंचा रखें, सदैव प्रसन्न रहें और जीवन को पूर्ण रूप से जियें।

ईश्वर के इस उपहार की कद्र करें इसे व्यर्थ न जानें दें।

जीवन ईश्वर द्वारा दिया गया अनमोल तोहफा है। जीवन हमें मिला है की हम संघर्षों का सामना करते हुए स्वयं का विकास करें। इससे भाग कर कोई भी सुखी नहीं रह सकता है। हमें चाहिए कि जीवन के संघर्षों का डट कर सामना करें। पलायनवादी व्यक्ति उस पागल की तरह होता है जो अपनी ही छाया से दूर भागने का प्रयास करता है।

जीवन से भागें नहीं वरन इसका लुत्फ़ उठायें। जो भी हमारे समक्ष आये बिना किसी शिकायत के उसको अपनाएं। जीवन चाहे कैसा हो उसे भार स्वरुप न लें। हर परिस्तिथि में अपना सर ऊंचा रखें, सदैव प्रसन्न रहें और जीवन को पूर्ण रूप से जियें।

ईश्वर के इस उपहार की कद्र करें इसे व्यर्थ न जानें दें।

बहुत सार्थक और सुन्दर बात कही है आपने श्री त्रिवेदी जी

Comment by ASHISH KUMAAR TRIVEDI on April 16, 2013 at 10:37am

आप सभी का धन्यवाद

Comment by Ashok Kumar Raktale on April 15, 2013 at 10:30pm

अलबर्ट आइन्स्टीन, जार्ज बर्नाड शा और वर्जिनिया बुल्फ के जीवन के प्रति कहे वचनों की आपने बहुत सुन्दर व्याख्या की है. इस सुन्दर ज्ञान वर्धक प्रस्तुति के लिए आपका हार्दिक आभार.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on April 15, 2013 at 8:30pm

जीवन जीने की कला पर बहुत सुन्दर प्रेरणादाई सकारात्मक आलेख के लिए आभार आदरणीय आशीष जी 

Comment by बृजेश नीरज on April 15, 2013 at 7:51pm

आशीष जी सुन्दर लेख। बधाई!

Comment by vijay nikore on April 15, 2013 at 6:30pm

आ० आशीष जी:

 

अच्छे विचार हैं। लेख अच्छा लगा।

 

सादर,

विजय निकोर

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on April 15, 2013 at 10:32am

बहुत सही कहाँ है आपने श्री आशीष त्रिवेदी जी, जीवन जीने के लिए है भागने के लिए नहीं | यह इश्वर द्वारा प्रद्दत भेंट 

वाकई अनमोल है | दुःख सुख तो अनुभूति करने में है | जीवन ही संघर्ष है, जिसका प्रसन्नता  पूर्वक डट कर मुकाबला 

करके आगे बढ़ते हुए प्रसन्नता रखते हुए गर्व से जीना चाहिए | सार गर्भित लेख के लिए हार्दिक बधाई |

Comment by केवल प्रसाद 'सत्यम' on April 15, 2013 at 10:16am

आ0 आशीष त्रिवेदी जी,  प्रणाम!   बहुत सुन्दर विचार..! जीवन,  जीने केलिए है ना कि अवसाद में डूब जाने के लिए।  जीवन का सत्य ही ईश्वर की प्राप्ति।  हार्दिक बधाई स्वीकार करें।  सादर,

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity


सदस्य टीम प्रबंधन
Saurabh Pandey replied to Admin's discussion 'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 169 in the group चित्र से काव्य तक
"स्वागतम्"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post सुखों को तराजू में मत तोल सिक्के-लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर'
"आदरणीय लक्ष्मण भाई अच्छी ग़ज़ल हुई है , बधाई स्वीकार करें "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post पूनम की रात (दोहा गज़ल )
"आदरणीय सुरेश भाई , बढ़िया दोहा ग़ज़ल कही , बहुत बधाई आपको "
17 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"आदरणीया प्राची जी , ग़ज़ल पर उपस्थित हो उत्साह वर्धन करने के लिए आपका हार्दिक आभार "
18 hours ago

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh commented on गिरिराज भंडारी's blog post तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी
"सभी अशआर बहुत अच्छे हुए हैं बहुत सुंदर ग़ज़ल "
Wednesday
सुरेश कुमार 'कल्याण' posted a blog post

पूनम की रात (दोहा गज़ल )

धरा चाँद गल मिल रहे, करते मन की बात।जगमग है कण-कण यहाँ, शुभ पूनम की रात।जर्रा - जर्रा नींद में ,…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी posted a blog post

तरही ग़ज़ल - गिरिराज भंडारी

वहाँ  मैं भी  पहुंचा  मगर  धीरे धीरे १२२    १२२     १२२     १२२    बढी भी तो थी ये उमर धीरे…See More
Monday

सदस्य कार्यकारिणी
गिरिराज भंडारी commented on गिरिराज भंडारी's blog post ग़ज़ल -मुझे दूसरी का पता नहीं ( गिरिराज भंडारी )
"आदरणीय लक्ष्मण भाई , उत्साह वर्धन के लिए आपका हार्दिक आभार "
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"आ.प्राची बहन, सादर अभिवादन। दोहों पर उपस्थिति और उत्साहवर्धन के लिए आभार।"
Sunday

सदस्य टीम प्रबंधन
Dr.Prachi Singh replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"कहें अमावस पूर्णिमा, जिनके मन में प्रीत लिए प्रेम की चाँदनी, लिखें मिलन के गीतपूनम की रातें…"
Sunday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"दोहावली***आती पूनम रात जब, मन में उमगे प्रीतकरे पूर्ण तब चाँदनी, मधुर मिलन की रीत।१।*चाहे…"
Jul 12
Admin replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-176
"स्वागतम 🎉"
Jul 12

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service