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युगों तक जगत में वही जी सका है
हृदय अपना जिसने समंदर किया है
हक़ीक़त से नज़रें हटाने से यारो
कभी झूठ भी क्या कहीं सच हुआ है?
कहाँ रात के मानकों से हो चिपके
उजाले का वाहक तो सूरज रहा है
गरल एकता के लिए पीना होगा
सिखाती सभी को परम शिव कथा है
'सुनो आइनो तुम भी पढ़ लो सुकूँ से
कि 'पंकज' ने सब सामने रख दिया है' (आदरणीय बाऊजी समर कबीर द्वारा…
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 21, 2018 at 3:00pm — 15 Comments
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जानें क्या बात है आज कल, दर्द अपना छिपाने लगा
हाल उसका पता कीजिए, वो बहुत मुस्कुराने लगा
हम उसे बस यूँ ही चारागर, झूठे ही तो नहीं लिख दिए
एक बेजान से बुत में भी, वो जो धड़कन चलाने लगा
उसको पागल नहीं जो कहें, तो भला नाम क्या और दें
एक निर्जन नगर में कोई, स्वप्न के घर बसाने लगा
शुक्रिया आपका शुक्रिया है ये तोहफा बहुत कीमती
देखिए तो विरह का असर शेर मैं गुनगुनाने लगा
उम्र भर की ख़लिश…
ContinueAdded by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 20, 2018 at 12:00am — 14 Comments
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स्वार्थ नें राष्ट्र की है सजाई चिता
जाति की अग्नि से चिट चिटाई चिता
भारती माँ तड़प कर कराहे सुनो
पूछती जीते जी क्यूँ सजाई चिता?
प्रीत के व्योम पर द्वेष धूम्राक्ष है
लोभियों नें वतन की जलाई चिता
राजगद्दी के लोभी हैं शामिल सभी
पूछिए मत कि किसनें लगाई चिता?
आग है जो लगी आप जल जाएंगे
बढ़ के आगे न यदि जो बुझाई चिता
मौलिक अप्रकाशित
Added by Pankaj Kumar Mishra "Vatsyayan" on April 4, 2018 at 11:30pm — 14 Comments
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