१२२/१२२/१२२/१२
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कोई राज़ मुझ पर खुला देर से,
वो आँसू वहीँ था,, बहा देर से.
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चिता की हुई राख़ ठंडी मगर,
सुलगता हुआ दिल बुझा देर से.
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मैं दुनिया से लड़ने को तैयार था,
मगर ..ख़त तुम्हारा मिला देर से.
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तेरा नाम धडकन पे गुदवा लिया,
ये ताबीज़ मुझ को फला देर से.
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हमारी सिफ़ारिश फ़रिश्तों ने की,
मगर आसमां ही झुका देर से.
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अजब सी नमी लिपटी हर्फ़ों से थी,
वो ख़त तो जला पर जला देर से.
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कई खेत…
ContinueAdded by Nilesh Shevgaonkar on April 25, 2016 at 8:32pm — 23 Comments
२१२/२१२/२१२
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वक़्त यूँ आज़माता रहा,
रोज़ ठोकर लगाता रहा.
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साहिलों पर समुन्दर ही ख़ुद,
नाम लिखता,, मिटाता रहा.
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वो मेरे ख़त जलाते रहे,
और मैं दिल जलाता रहा.
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वक़्त कम है, पता था मुझे
रोज़..फिर भी लुटाता रहा.
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डूबती नाव का नाख़ुदा,
बस उम्मीदें बँधाता रहा.
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वो समझते रहे शेर हैं,
धडकनें मैं सुनाता रहा.
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कोई तो प्यास से मर गया,
कोई आँसू बहाता…
Added by Nilesh Shevgaonkar on April 6, 2016 at 5:04pm — 3 Comments
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