For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

Usha Awasthi's Blog – April 2023 Archive (3)

जीवन और सत्य

उषा अवस्थी

क्षमाशीलता प्रेम की नदी बहे जिस गाँव

जिसको जो भी चाहिए, मिले वहीं उस ठाँव

करुणा औ वैराग्य का जिसमें जगा विवेक

जन्म उसी का इस धरा पर सार्थक,नि:शेष

जीवन अभिनय की विधा,चले श्रॄंखलाबद्ध

इच्छाओं , आशाओं की उलझन से सन्नद्ध

जिसने तोड़ी यह कड़ी , हुआ सत्य,उन्मुक्त

पार सभी सीमाओं से जाग्रत ,शुद्ध , प्रबुद्ध

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Usha Awasthi on April 28, 2023 at 10:00am — 1 Comment

असत्य स्वीकार नहीं

उषा अवस्थी

धरा पाँव जब सत्य मार्ग पर
मुश्किल पथ,आसान नहीं

सही वस्तु की ग़लत व्याख्या
इस मन का आधार नहीं

तीव्र धार की असि ग्रीवा पर
हो, असत्य स्वीकार नहीं

शान्त,अडिग,निःशंक,अकेला
"मै", लव भर का भार नहीं

दृष्टा पर अवलम्ब दृश्य
दृष्टा तो मुक्त , विकार नहीं

अकथ,अलौकिक,अतुल,अनामय
को मिथ्या स्वीकार्य नहीं

मौलिक एवं अप्रकाशित

Added by Usha Awasthi on April 19, 2023 at 10:22pm — 2 Comments

श्रम चोर

उषा अवस्थी

सुबह सबेरे थैलियाँ लेकर निकलें आप

तोड़ पुष्प झोली भरें प्रभु-पूजा के काज

भगवन भूखे भाव के, न जानें यह मर्म

दूजों के श्रम की करें चोरी, नित्य अधर्म

माली से ले आज्ञा, गुरु के हित, सुखधाम

फुलवारी में जनक की, फूल चुने तब राम

मन्दिर में प्रभु को प्रसन्न करने के हित,भोर

गलियों - गलियों डोलते हैं प्रसून के चोर

पाले, पोसे , सींच कर बड़ा करे कोई और

नष्ट करें शाखाओं को खींच-खींच…

Continue

Added by Usha Awasthi on April 13, 2023 at 5:58pm — 2 Comments

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna commented on लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर''s blog post दोहे -रिश्ता
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी रिश्तों पर आधारित आपकी दोहावली बहुत सुंदर और सार्थक बन पड़ी है ।हार्दिक बधाई…"
23 hours ago
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"तू ही वो वज़ह है (लघुकथा): "हैलो, अस्सलामुअलैकुम। ई़द मुबारक़। कैसी रही ई़द?" बड़े ने…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"गोष्ठी का आग़ाज़ बेहतरीन मार्मिक लघुकथा से करने हेतु हार्दिक बधाई आदरणीय मनन कुमार सिंह…"
yesterday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आपका हार्दिक आभार भाई लक्ष्मण धामी जी।"
Monday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"आ. भाई मनन जी, सादर अभिवादन। बहुत सुंदर लघुकथा हुई है। हार्दिक बधाई।"
Monday
Manan Kumar singh replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"ध्वनि लोग उसे  पूजते।चढ़ावे लाते।वह बस आशीष देता।चढ़ावे स्पर्श कर  इशारे करता।जींस,असबाब…"
Sunday
Admin replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-120
"स्वागतम"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. रिचा जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अजय जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई चेतन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमीरुद्दीन जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए आभार।"
Saturday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव तरही मुशायरा" अंक-177
"आ. भाई अमित जी, सादर अभिवादन। गजल की प्रशंसा के लिए धन्यवाद।"
Saturday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service