उषा अवस्थी
क्षमाशीलता प्रेम की नदी बहे जिस गाँव
जिसको जो भी चाहिए, मिले वहीं उस ठाँव
करुणा औ वैराग्य का जिसमें जगा विवेक
जन्म उसी का इस धरा पर सार्थक,नि:शेष
जीवन अभिनय की विधा,चले श्रॄंखलाबद्ध
इच्छाओं , आशाओं की उलझन से सन्नद्ध
जिसने तोड़ी यह कड़ी , हुआ सत्य,उन्मुक्त
पार सभी सीमाओं से जाग्रत ,शुद्ध , प्रबुद्ध
मौलिक एवं अप्रकाशित
Added by Usha Awasthi on April 28, 2023 at 10:00am — 1 Comment
Added by Usha Awasthi on April 19, 2023 at 10:22pm — 2 Comments
उषा अवस्थी
सुबह सबेरे थैलियाँ लेकर निकलें आप
तोड़ पुष्प झोली भरें प्रभु-पूजा के काज
भगवन भूखे भाव के, न जानें यह मर्म
दूजों के श्रम की करें चोरी, नित्य अधर्म
माली से ले आज्ञा, गुरु के हित, सुखधाम
फुलवारी में जनक की, फूल चुने तब राम
मन्दिर में प्रभु को प्रसन्न करने के हित,भोर
गलियों - गलियों डोलते हैं प्रसून के चोर
पाले, पोसे , सींच कर बड़ा करे कोई और
नष्ट करें शाखाओं को खींच-खींच…
ContinueAdded by Usha Awasthi on April 13, 2023 at 5:58pm — 2 Comments
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