1212-1122-1212-22
हरेक बात पे उसका जवाब उल्टा है ।।
मगर वो प्यार मुझे बेशुमार करता है।।
वो मेरे इश्क-ए- मरासिम* बनाएगा' इकदिन यूँ।(प्यार के रिश्ते)
बड़े यकींन से उल्फ़त की बात करता है।।
यूँ बर्फ आब-ओ-हवा वादियों से गुजरी हो।
उसी तरह से मेरा ज़िस्म अब पिघलता है।।
कभी भी वक्त न ठहरा हुआ लगे मुझको।
के चावी कौन भला सुब्ह शाम भरता है।।
यकीं न हो तो जरा गौर कर के देखो तुम ।
तुम्हारी आँख में भारी तुम्हारा'…
Added by amod shrivastav (bindouri) on April 27, 2019 at 12:30pm — 3 Comments
हजज़ मुरब्बा मक़बूज
अरकान :- मुफाइलुन मुफाइलुन (1212-1212)
मुझे उसी से प्यार हो ।।
जो तीर दिल के पार हो ।।
पहाड़ जैसी' जिंदगी ।
कोई तो दाबे'दार हो।।
सवाल बस मेरा यही ।
अदब ओ ऐतबार हो।।(शिष्टाचार,विश्वास)
नफ़स की धुन नहीं थमें।(आत्मा,soul)
कोई भी कितना यार हो।।
लुग़त* की …
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on April 24, 2019 at 11:00pm — 1 Comment
श'हर में शोर ये फैला हुआ है ।।
पडोसी गाँव में मुजरा हुआ है।।
कोई तो दीद के क़ाबिल है आया ।
यहाँ दो दिन से ही परदा हुआ है।।
वतन की आबरू कैसे बचाए।
म'सलतन आज ही सौदा हुआ है।।
जरा देखूं सराफ़त छोड़ कर के ।
सुना है नाम कुछ अच्छा हुआ है।।
अजां पढ़ ले या बुत की आरती को ।
सभी कुछ आज…
Added by amod shrivastav (bindouri) on April 21, 2019 at 10:47am — 3 Comments
समय के साथ भी सीखा गया है ।।
ये गुजरा दौर भी बतला गया है ।।
मेरी मजबूरियां अब मत गिनो तुम ।
मेरे संग हो तो सब देखा गया है ।।
सभी उस्ताद बनकर ही नहीं हैं।
मुझे अधभर में ही रख्खा गया है ।।
ये तेरा प्रेम कब छूटेगा मुझसे ।
मेरे चहरे में ये बस सा गया है ।।
मेरे भी चाहने वाले मिलेंगे।
मुझे कहकर यही बिछड़ा गया है ।।
कभी वो इन्तेहाँ मेरा भी ले…
ContinueAdded by amod shrivastav (bindouri) on April 17, 2019 at 11:30am — 5 Comments
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