For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

धर्मेन्द्र कुमार सिंह's Blog – April 2016 Archive (5)

ग़ज़ल : इसलिए ख़ाकसार टेढ़ा है

बह्र : २१२२ १२१२ २२

 

ये दिमागी बुखार टेढ़ा है

यही सच है कि प्यार टेढ़ा है

 

स्वाद इसका है लाजवाब मियाँ

क्या हुआ गर अचार टेढ़ा है

 

जिनकी मुट्ठी हो बंद लालच से

उन्हें लगता है जार टेढ़ा है

 

खार होता है एकदम सीधा

फूल है मेरा यार, टेढ़ा है

 

यूकिलिप्टस कहीं न बन जाये

इसलिए ख़ाकसार टेढ़ा है

-------------

(मौलिक एवं अप्रकाशित)

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 27, 2016 at 10:43pm — 15 Comments

ग़ज़ल : जो सच बोले उसे विभीषण समझा जाता है

२२ २२ २२ २२ २२ २२ २

----------------

जब धरती पर रावण राजा बनकर आता है

जो सच बोले उसे विभीषण समझा जाता है

 

केवल घोटाले करना ही भ्रष्टाचार नहीं

भ्रष्ट बहुत वो भी है जो नफ़रत फैलाता है

 

कुछ तो बात यकीनन है काग़ज़ की कश्ती में

दरिया छोड़ो इससे सागर तक घबराता है

 

भूख अन्न की, तन की, मन की फिर भी बुझ जाती

धन की भूख जिसे लगती सबकुछ खा जाता है

 

करने वाले की छेनी से पर्वत कट जाता

शोर मचाने वाला…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 24, 2016 at 1:38pm — 8 Comments

ग़ज़ल : पुल की रचना वो करते जो खाई के भीतर जाते हैं

बह्र : 22 22 22 22 22 22 22 22

 

वो तो बस पुल पर चलते जो गहराई से घबराते हैं

पुल की रचना वो करते जो खाई के भीतर जाते हैं

 

जिनसे है उम्मीद समय को वो पूँजी के सम्मोहन में

काम गधों सा करते फिर सुअरों सा खाकर सो जाते हैं

 

धूप, हवा, जल, मिट्टी इनमें से कुछ भी यदि कम पड़ जाए

नागफनी बढ़ते जंगल में नाज़ुक पौधे मुरझाते हैं

 

जिनके हाथों की कोमलता पर दुनिया वारी जाती है

नाम वही अपना पत्थर के वक्षस्थल पर खुदवाते…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 19, 2016 at 10:05pm — 4 Comments

जहाँ में पाप जो पर्वत समान करते हैं (ग़ज़ल)

बह्र : 1212 1122 1212 22

 

जहाँ में पाप जो पर्वत समान करते हैं

वो मंदिरों में सदा गुप्तदान करते हैं

 

लहू व अश्क़, पसीने को धान करते हैं

हमारे वास्ते क्या क्या किसान करते हैं

 

कभी मिली ही नहीं उन को मुहब्बत सच्ची

जो अपने हुस्न पे ज़्यादा गुमान करते हैं

 

गरीब अमीर को देखे तो देवता समझे

यही है काम जो पुष्पक विमान करते हैं

 

जो मंदिरों में दिया काम आ सका किसके?

नमन उन्हें जो सदा रक्तदान करते…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 14, 2016 at 10:10pm — 14 Comments

प्रेम (पाँच छोटी कविताएँ)

(१)

 

जिनमें प्रेम करने की क्षमता नहीं होती

वो नफ़रत करते हैं

बेइंतेहाँ नफ़रत

 

जिनमें प्रेम करने की बेइंतेहाँ क्षमता होती है

उनके पास नफ़रत करने का समय नहीं होता

 

जिनमें प्रेम करने की क्षमता नहीं होती

वो अपने पूर्वजों के आखिरी वंशज होते हैं

 

(२)

 

तुम्हारी आँखों के कब्जों ने

मेरे मन के दरवाजे को

तुम्हारे प्यार की चौखट से जोड़ दिया है

 

इस तरह हमने जाति और धर्म की दीवार…

Continue

Added by धर्मेन्द्र कुमार सिंह on April 3, 2016 at 3:01pm — 18 Comments

Monthly Archives

2024

2023

2022

2021

2020

2019

2018

2017

2016

2015

2014

2013

2012

2011

2010

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई दयाराम जी, सादर अभिवादन। अच्छी रचना हुई है। हार्दिक बधाई।"
1 hour ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई सुरेश जी, अभिवादन। प्रदत्त विषय पर सुंदर कुंडली छंद हुए हैं हार्दिक बधाई।"
3 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
" "पर्यावरण" (दोहा सप्तक) ऐसे नर हैं मूढ़ जो, रहे पेड़ को काट। प्राण वायु अनमोल है,…"
4 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आ. भाई मिथिलेश जी, सादर अभिवादन। पर्यावरण पर मानव अत्याचारों को उकेरती बेहतरीन रचना हुई है। हार्दिक…"
5 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"पर्यावरण पर छंद मुक्त रचना। पेड़ काट करकंकरीट के गगनचुंबीमहल बना करपर्यावरण हमने ही बिगाड़ा हैदोष…"
5 hours ago

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"तंज यूं आपने धूप पर कस दिए ये धधकती हवा के नए काफिए  ये कभी पुरसुकूं बैठकर सोचिए क्या किया इस…"
8 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"आग लगी आकाश में,  उबल रहा संसार। त्राहि-त्राहि चहुँ ओर है, बरस रहे अंगार।। बरस रहे अंगार, धरा…"
9 hours ago
सुरेश कुमार 'कल्याण' joined Admin's group
Thumbnail

धार्मिक साहित्य

इस ग्रुप मे धार्मिक साहित्य और धर्म से सम्बंधित बाते लिखी जा सकती है,See More
9 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"गजल (विषय- पर्यावरण) 2122/ 2122/212 ******* धूप से नित  है  झुलसती जिंदगी नीर को इत उत…"
17 hours ago
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' replied to Admin's discussion "ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-163
"सादर अभिवादन।"
17 hours ago
Admin posted discussions
Tuesday
Admin added a discussion to the group चित्र से काव्य तक
Thumbnail

'ओबीओ चित्र से काव्य तक' छंदोत्सव अंक 156

आदरणीय काव्य-रसिको !सादर अभिवादन !!  …See More
Tuesday

© 2024   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service