थकन भले ही देह में, किन्तु न माने हार
स्वर्ग श्रम से नित करे, वह नीरस संसार।१।
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लहू देह से बन बहे, जिसके पलपल स्वेद
जग में बाँटे हर्ष जो, सब से लेकर खेद।२।
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कर्मलीन जो हर समय, दिवस रात्रि में जाग
जगने देते पर नहीं, शोषक उस का भाग।३।
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श्रम से उस के हो गये, चन्द लोग धनवान
जिसकी हालत को कहे, जग दोषी भगवान।४।
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हिस्से में ले जी रहा, भले भूख मजदूर
गाली, लाठी, गोलियाँ, मिलें उसे भरपूर।५।
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गुजर किया मजदूर ने,…
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 30, 2023 at 11:50am — 2 Comments
२२१/२१२१/१२२१/२१२
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बातों में सिर्फ देश का उद्धार हो रहा
बाँकी स्वयं के वास्ते व्यापार हो रहा।१।
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चमकेगी उनकी और सियासत पता उन्हें
बेवश युवा यहाँ का जो मिस्मार हो रहा।२।
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कीमत बढ़े ही जा रही हर एक चीज की
निर्धन का जीना रोज ही दुश्वार हो रहा।३।
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कुर्सी पे जब से बैठे हैं ईमानदार ढब
नेता वतन का और भी मक्कार हो रहा।४।
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आँधी चली है देश में कैसी विकास की
लाचार अब तो और भी लाचार हो रहा।५।
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Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 28, 2023 at 9:55pm — 2 Comments
Added by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on April 27, 2023 at 9:03pm — 4 Comments
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