"वकील साहब! जो चाहे करो लेकिन मेरे बेटे को सजा नही होनी चाहिये।" कहते हुये काली बाबू ने चेक बुक सामने रख दी।
"काली बाबू। मीडीया और 'एविडेन्स' भी तुम्हारे बेटे के खिलाफ है। अब तो एक ही रास्ता है 'पीड़िता' से आपके बेटे की शादी और उसकी तरफ से केस वापसी की दरख्वास्त।" वकील साहब ने ठंडी साँस भर कर हथियार डाल दिये।......................................
"लोगो की सवालिया नजरे, परिवार का मान और तुम्हारी बेटी का भविष्य। इन सबको देखा जाये तो मेरी इस 'आफर' से बेहतर कोई रास्ता नही है।"…
Added by VIRENDER VEER MEHTA on May 26, 2015 at 8:30pm — 18 Comments
"ठीक है पिताजी। मान लो आप कि मैं नास्तिक हूँ और रीति रिवाज नही मानता।" बेटे ने सजल आँखो से कहा।
"बेटा। एक तुम्हारे ना मानने से समाज के रिवाज खत्म नही हो जायेगें।" व्यथित मन से पिता ने जवाब दिया।
"जानता हूँ नही खत्म होगें। लेकिन इस कठोर परम्परा के लिए हर दिन पेड़ो से काटी जाने वाली लकड़ी के कारण ठूंठ होते गांव में एक नई परम्परा की शुरूआत तो हो सकती है।" कहते हुये बेटे ने रूंधे लेकिन कड़े मन से गांव में पहली बार मगांयी गयी बिजली शव दाह घर की गाडी में अपनी पत्नि के शव को ले जाने की तैयारी…
Added by VIRENDER VEER MEHTA on May 23, 2015 at 4:18pm — 3 Comments
"नही! मैं नही करती तुमसे प्यार।" यही कहा था मैंने उस दिन इसी जगह पर, ऐसी ही किसी शाम में।
"करने लगोगी, शादी के बाद।" तुम हॅस पड़े थे।
और फिर चंद हफ्तो बाद ही मैं दुल्हन बनी तुम्हारे घर आ गयी। उसके बाद जब भी तुमने ये सवाल किया मैं चुप रही, अब मन की बात नही बोल सकती थी न। और फिर एक दिन निकल गयी तुम्हारे जीवन से। 'उसी के' साथ जिससे 'मैं' प्यार करती थी।............
..........जल्दी ही लौट आयी थी मैं, उसके प्यार का जहर पीकर पर देर हो चुकी थी उसने मुझसे 'मनचाहा' पा कर मुझे छोड़ दिया…
Added by VIRENDER VEER MEHTA on May 23, 2015 at 10:00am — 10 Comments
Added by VIRENDER VEER MEHTA on May 6, 2015 at 10:09am — 10 Comments
Added by VIRENDER VEER MEHTA on May 5, 2015 at 10:32am — 4 Comments
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