ख़ुद को ऐसे सँवार कर जागा
यानी उस को पुकार कर जागा.
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एक अरसा गुज़ार कर जागा
ख्व़ाब में ख़ुद से हार कर जागा.
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तेरी दुनिया बहुत नशीली थी
जिस्म को अपने पार कर जागा.
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आंखें तस्वीर की बिगाड़ी थीं
उनका काजल सुधार कर जागा.
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ख़ुद-परस्ती में मैं उनींदा था
फिर अना अपनी मार कर जागा.
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शम्स ने तीरगी पहन ली थी
सुब’ह चोला उतार कर जागा.
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रात भर आईने की आँखों में
दर्द अपने उभार कर जागा. …
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 15, 2021 at 9:30am — 8 Comments
दिल लगाएँ, दिल जलाएँ, दिल को रुसवा हम करें
चार दिन की ज़िन्दगी में और क्या क्या हम करें?
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एक दिन बौनों की बस्ती से गुज़रना क्या हुआ
चाहने वो यह लगे क़द अपना छोटा हम करें.
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हाथ बेचे ज़ह’न बेचा और फिर ईमाँ बिका
पेट की ख़ातिर भला अब और कितना हम करें?
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चाहते हैं हम को पाना और झिझकते भी हैं वो
मसअला यानी है उनका ख़ुद को सस्ता हम करें.
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इक सितम से रू-ब-रु हैं पर ज़ुबां ख़ुलती नहीं
ये ज़माना चाहता है उस का चर्चा हम करें.…
Added by Nilesh Shevgaonkar on June 8, 2021 at 12:00pm — 8 Comments
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