वज्न ~ 1222 1222 122
शिकायत है, नही कुछ भी जियादा
मुहब्बत है, नही कुछ भी जियादा
करे वह वार मुझ पे पीठ पीछे
अदावत है, नही कुछ भी जियादा
.
बदलते रंग क्यों गिरगिट के जैसे
ये आदत है, नही कुछ भी…
Added by वेदिका on June 22, 2014 at 1:30am — 14 Comments
2122 1212 112
इश्क में जायेगी ये जान भी क्या
सब्र तोड़ेगा इम्तेहान भी क्या
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ठोकरें हमको कर गयीं हैरां
आपने बदली है जबान भी क्या
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गिर के नज़रों में कोई तुम ही कहो
जीत पायेगा ये जहाँन भी क्या
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चाँद देखा था रात सहमा सा
'इस जमीं पर है आसमान भी क्या'
.
काट दे पर मेरे है ताब मुझे
रोक पायेगा तू उड़ान भी क्या
.
फिर मुझे प्यार पर यकीन हुआ
नर्म दिल में तेरा निशान भी क्या
.
एक जुम्बिश हुयी है दिल में…
Added by वेदिका on June 18, 2014 at 12:42am — 40 Comments
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