For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

वज्न ~ 1222 1222 122

शिकायत है, नही कुछ भी जियादा

मुहब्बत है, नही कुछ भी जियादा

.

करे वह वार मुझ पे पीठ पीछे

अदावत है, नही कुछ भी जियादा

.

बदलते रंग क्यों गिरगिट के जैसे

ये आदत  है, नही कुछ भी जियादा

.

अलग हैं कायदे सबके लिए क्यों

सियासत है, नही कुछ भी जियादा

.

कहीं बेजां अमीरी, कोई फाके

खिलाफत है, नही कुछ भी जियादा

मौलिक व अप्रकाशित

Views: 767

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by वेदिका on July 8, 2014 at 9:56am

आभार आदरणीय सौरभ जी!


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on July 7, 2014 at 1:26am

वाह वाह !

जो हुआ है वो बहुत जियादा है.. बधाई स्वीकारें.. .

:-))

Comment by वेदिका on July 2, 2014 at 10:51am
आभार आदरणीया प्राची दी!

सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Dr.Prachi Singh on June 30, 2014 at 7:26pm

खूबसूरत प्रस्तुति प्रिय गीतिका जी 

बहुत बहुत बधाई 

Comment by वेदिका on June 28, 2014 at 7:41pm

रचना को स्नेह देने हेतु हार्दिक आभार व्यक्त करती हूँ,

आ० गोपाल जी!, आ० अभिनव जी! आ० महिमा जी!, आ० मीना दीदी!, आ० शिज्जु जी! आ० गिरिराज जी!, आ० लक्ष्मण जी!, आ० विजय जी!, आ० विजय शंकर जी!

Comment by Dr. Vijai Shanker on June 24, 2014 at 12:13am
अलग हैं कायदे सबके लिए क्यों
सियासत है, नही कुछ भी जियादा
बहुत सुन्दर , आ o गीतिका वेदिका जी , बधाई .
Comment by विजय मिश्र on June 23, 2014 at 12:52pm
बहुत प्यारी सी गजल ,साधुवाद वेदिकाजी
Comment by लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' on June 23, 2014 at 11:22am

वाह क्या खूब ग़ज़ल है आ० गीतिका जी -
शिकायत है, नही कुछ भी जियादा
मुहब्बत है, नही कुछ भी जियादा

हार्दिक बधाई कबूल करें .


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by गिरिराज भंडारी on June 23, 2014 at 10:33am

आदरनीय गीतिका  जी , कठिन और लम्बे रदीफ का आपने बहुत अच्छे से निर्वाह किया । अच्छी ग़ज़ल के लिये आपको बधाई ।

शिज्जू भाई से सहमत हूँ , मिलावट काफिया ग़लत है यहाँ पर , सुधार लीजियेगा ॥


सदस्य कार्यकारिणी
Comment by शिज्जु "शकूर" on June 23, 2014 at 9:01am

वाह क्या खूब ग़ज़ल है
शिकायत है, नही कुछ भी जियादा
मुहब्बत है, नही कुछ भी जियादा
.
करे वह वार मुझ पे पीठ पीछे
अदावत है, नही कुछ भी जियादा

कुछ न कह के भी बहुत कुछ कह दिया दिली दाद कुबूल फरमायें।

इस ग़ज़ल में 'मिलावट' काफिया सही नहीं होगा।

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Activity

Sushil Sarna posted blog posts
yesterday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' posted blog posts
yesterday
सतविन्द्र कुमार राणा posted a blog post

जमा है धुंध का बादल

  चला क्या आज दुनिया में बताने को वही आया जमा है धुंध का बादल हटाने को वही आयाजरा सोचो कभी झगड़े भला…See More
yesterday
आशीष यादव posted a blog post

जाने तुमको क्या क्या कहता

तेरी बात अगर छिड़ जातीजाने तुमको क्या क्या कहतासूरज चंदा तारे उपवनझील समंदर दरिया कहताकहता तेरे…See More
yesterday
Admin posted a discussion

"ओ बी ओ लाइव महा उत्सव" अंक-170

आदरणीय साहित्य प्रेमियो, जैसाकि आप सभी को ज्ञात ही है, महा-उत्सव आयोजन दरअसल रचनाकारों, विशेषकर…See More
yesterday
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on सुरेश कुमार 'कल्याण''s blog post एक बूँद
"आ. भाई सुरेश जी, सादर अभिवादन। सुंदर रचना हुई है । हार्दिक बधाई।"
Tuesday
लक्ष्मण धामी 'मुसाफिर' commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . रोटी
"आ. भाई सुशील जी, सादर अभिवादन। सुंदर दोहे रचे हैं। हार्दिक बधाई।"
Jan 4
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विविध
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी मनोहारी प्रशंसा का दिल से आभारी है सर "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा सप्तक. . . विरह
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय जी "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post कुंडलिया ....
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन के भावों को मान देने का दिल से आभार आदरणीय "
Jan 2
Sushil Sarna commented on Sushil Sarna's blog post दोहा पंचक. . . . कागज
"आदरणीय लक्ष्मण धामी जी सृजन आपकी स्नेहिल प्रशंसा का दिल से आभारी है सर ।  नव वर्ष की हार्दिक…"
Jan 2

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service