वज्न / २१२२ २१२२ २१२
चाह थी जिनकी, हमारे मिल गये
गुम कहीं थे ख्वाब, सारे मिल गये.
एक धागा बेल के धड़ से मिला
बेसहारों को सहारे मिल गये
.
हम अकेले, भीड़ थी, तन्हाई थी
और तुम बाहें पसारे मिल गये
.
डूबती नैया के तुम पतवार हो
साथ तेरे हर किनारे मिल गये
.
देख तुमको, जी को जो ठंडक हुयी
यूँ कि नजरों को नजारे मिल गये
.
सच अगरचे, देख के अनदेख हो
झूठ जीतेगा, इशारे मिल गये
गीतिका ‘वेदिका’
मौलिक / अप्रकाशित
Comment
आ0 गीतिका जी ....अति उतम . बहुत खूबसुरत गजल जो बार बार गुनगुनाने को मन चाहे.........बधाई
आदरणीय अभिनव अरुण जी! आपकी विस्तृत प्रतिक्रिया से मुझे सम्बल महसूस हुआ| आप जैसा सा गजलकार गज़ल के पहलुओं को इंगित करे तो उस गज़ल की अहमियत अपने आप ही हो जाती है|
सादर !!
आदरणीय गिरिराज जी!
गज़ल पर आपकी प्रतिक्रिया मन को तसल्ली प्रदान करती है
सादर !!
बहुत सुन्दर गज़ल कही वेदिका जी , बहुत सरल शब्दों मे बहुत अच्छी बात !! बधाई !!
बेहतरीन ! आफरीन !! मोहतरमा गीतिका जी , अभिनन्दन !
समय के सागर में गोते लगा सीपियों से चुने , चमकदार ताजगी लिए हुए शेर ...
चाह थी जिनकी, हमारे मिल गये
गुम कहीं थे ख्वाब, सारे मिल गये...बेहतरीन आगाज़
एक धागा बेल के धड़ से मिला
बेसहारों को सहारे मिल गये .... क्या सकारात्मकता है स्तुत्य है ये संबल
हम अकेले, भीड़ थी, तन्हाई थी
और तुम बाहें पसारे मिल गये....मधुर मनोरम अतीव सुन्दर
.
सच अगरचे, देख के अनदेख हो
झूठ जीतेगा, इशारे मिल गये ... इस शेर के लिए ख़ास मुबारकबाद .. अदब को आप पर गर्व है आपको पढना गौरवान्वित कर गया ..सौ सौ शुभेच्छाएं .. और स्वाधीनता दिवस की हार्दिक बधाई !!
आदरणीय सौरभ जी!
आपकी प्रतिक्रिया से बल मिला, वो दिन ज्यादा दूर नही गया जब मैंने कहा था "की मै गज़ल नही कह सकूंगी," और आपने कहा था "की आप गज़ल जरुर कहेंगी"|
ये सच था आदरणीय सौरभ जी! :-)
आपकी शुभकामनाये शिरोधार्य!
सादर !!
क्या बात है .. क्या बात है.. !!
अपनी गीतिकाजी अब कहन से मुतास्सिर करने लगी हैं. हर शेर बस कमाल है का है. मन प्रसन्न है.
देर से आना वाकई अब अधिक खल रहा है.
शुभ-शुभ
आपका आभार प्रिय महिमा जी!
आपकी स्नेहसिक्त प्रतिक्रिया से उत्साह दोगुना हो गया!
सस्नेह !!
चाह थी जिनकी, हमारे मिल गये
गुम कहीं थे ख्वाब, सारे मिल गये.
हम अकेले, भीड़ थी, तन्हाई थी
और तुम बाहें पसारे मिल गये
आ. वेदिका जी.. बेहद खुबसूरत गजल। . बहुत -२ बधाई आपको। स्नेह
आदरणीया सीमा जी!
एक अरसे बाद आपको मंच पर देख के बहुत खुशी हो रही है,
आपकी प्रतिक्रिया मेरे लिए बहुत मायने रखती है,
आभार !!
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