वह मिट्टी खोदता,ढेर लगाता। समझा जाता,राजा मिट्टी को उपजाऊ बना रहा है।समय गुजरता गया।कालांतर में नेवला राजा बना।खुदी हुई मिट्टी की सुरंगों से बाहरी अजगर आने लगे। आते पहले भी थे।डंसते,निकल जाते। अब नेवला उन्हें खा जाता।इलाके में ' हाय दैया 'मचाई गई कि अजगर ने इसे डंसा,तो उसे डंसा।कितने अजगर तमाम हुए,यह बात गौण थी।
पुराना राजा: राजा कर क्या रहा है?ये अजगर आ कैसे रहे हैं?
रा,जा:'उन्हीं सुरंगों से,जो तुमने…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on June 26, 2020 at 8:30am — 4 Comments
जासूसी उपन्यास पढ़ चुके एक मित्र से दूसरे मित्र ने उसकी कहानी का आशय पूछा।पहले ने जवाब में कहा,'
भरोसा, चोट......।'
' मतलब?' दूसरी तरफ से सवाल हुआ।
' परी कथा समझते हो न?'
' बिलकुल।'
' बस वैसा ही समझ लो।खेतों से पेट पालनेवाले चिड़ों के इलाके में एक सफेद चिड़ी उतरी। धूप में झुलसे उन बाशिंदों में वह गोरी थी, परी समझ ली गई।सुनहरी होने के चलते उसे सोनी नाम मिला। परिंदों का सरदार चिड़ा उसपर फिदा हुआ।दोनों का चोंच - बंधन हो गया। एक दिन ऊंची उड़ान भरते वक्त चिड़ा काल कवलित हो…
Added by Manan Kumar singh on June 21, 2020 at 12:52pm — 2 Comments
तरह तरह के दिवस मनाए जाते। कोई दिन पर्यावरण का होता,तो कोई बाल दिवस आदि आदि।शोर होते,जश्न भी। और दिवस चाहे जैसे भी लगे हों,पर बाल दिवस की चर्चा सुन कुछ शब्द कसमसाए।मुखर होने लगे।ध्वनि फूटी -
' हम कहने के माध्यम हैं।'
' हम तुम्हारे माध्यम हैं।' दूसरी आवाजें आने लगीं।
शब्द जैसे चरमराने लगे। टूटन का अहसास हुआ।वे कराह ते हुए बोले -
' तुम लोग कौन हो?'
' खूब,बहुत खूब!अपने निर्माताओं को ही बिसरा बैठे तुमलोग।' ताना भरी आवाजें गूंजने लगीं।
' निर्माता?हमारे ?' शब्द चौंके।
'…
Added by Manan Kumar singh on June 19, 2020 at 9:37pm — 3 Comments
2122 2122 212
दीप बन मैं ही जला हूँ रात-दिन
रोशनी खातिर लड़ा हूँ रात-दिन।1
जब कभी मन का अचल पिघला जरा
नेह बन मैं ही झरा हूँ रात-दिन।2
जब समद निज आग से उबला कभी
मेह बन मैं ही पड़ा हूँ रात-दिन।3
कामनाएँ जब कुपित होने लगीं
देह बन मैं ही ढहा हूँ रात-दिन।4
व्योम तक विस्तार का पाले सपन
यत्न मैं करता रहा हूँ रात-दिन।5
आखिरी दम का सफर जब सालता
गीत बन मैं ही बजा हूं रात - दिन।6
"मौलिक व…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on June 18, 2020 at 5:11pm — 4 Comments
22 22 22 22 22 22
चिकनी बातों में आ जाना अच्छा है क्या?
बेमतलब खुद को बहलाना अच्छा है क्या??1
मूंछों पर दे ताव चले हर वक्त महाशय,
टेढ़ी पूंछों को सहलाना अच्छा है क्या?2
गाओ अपना गीत,करो धूसर वैरी को
कटती गर्दन तब मुसुकाना अच्छा है क्या?3
देखा है दुनिया ने अपना पौरुष पहले
नासमझों के गर लग जाना अच्छा है क्या?4
बाजार बनी जिसके चलते धरती अपनी
उस कातिल से हाथ मिलाना अच्छा है क्या?5
तुम बंद…
ContinueAdded by Manan Kumar singh on June 17, 2020 at 6:47pm — 2 Comments
' हां, ठीक हूं सविता।' मास्क के अंदर से आवाज आई।
' अच्छा चल बता,अब तेरे वो कैसे हैं?' सविता की मास्क ने चुटकी ली,क्योंकि शालू हमेशा अपने पति की शिकायत करती रहती थी।कभी कभी तो वह अपने निः संतान होने का दोष भी पति के मत्थे मढ़ देती।पति का दिन रात अपने ऑफिस के काम में तल्लीन रहना एक अच्छा सा बहाना भी था।भला एक थका मांदा मर्द पत्नी को औलाद क्या देगा? खा - पी के पड़ रहेगा।ऐसे क्या भला औलाद आसमान से टपकेगी?वह यही सब सोचती और अधिकतर सविता को यह सब…
Added by Manan Kumar singh on June 8, 2020 at 4:00pm — 4 Comments
2024
2023
2022
2021
2020
2019
2018
2017
2016
2015
2014
आवश्यक सूचना:-
1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे
2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |
3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |
4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)
5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |
© 2024 Created by Admin. Powered by
महत्वपूर्ण लिंक्स :- ग़ज़ल की कक्षा ग़ज़ल की बातें ग़ज़ल से सम्बंधित शब्द और उनके अर्थ रदीफ़ काफ़िया बहर परिचय और मात्रा गणना बहर के भेद व तकतीअ
ओपन बुक्स ऑनलाइन डाट कॉम साहित्यकारों व पाठकों का एक साझा मंच है, इस मंच पर प्रकाशित सभी लेख, रचनाएँ और विचार उनकी निजी सम्पत्ति हैं जिससे सहमत होना ओबीओ प्रबन्धन के लिये आवश्यक नहीं है | लेखक या प्रबन्धन की अनुमति के बिना ओबीओ पर प्रकाशित सामग्रियों का किसी भी रूप में प्रयोग करना वर्जित है |