रात स्वप्न में, प्रभु थे खड़े
बोले मांगो वत्स क्या मांगते हो
जमीं चाहते हो या आस्मां चाहते हो
बड़ी गाडी बड़ा घर नोटों की गट्ठर
या सत्ता सुख कुर्सी से हो कर
जो चाहो अभी दे दूँ
एक नयी ज़िन्दगी दे दूँ
मैंने माँगा तो क्या माँगा
एक बेंच पुरानीं सी
वो पीछे वाली मेरे स्कूल की
चाहिए मुझे
वो बचपन के ज़माने
दोस्त पुराने
मदन के डोसे पे टूटना
चेतन का वो टिफिन लूटना
अपना टिफिन बचाने में
टीचर…
Added by shashiprakash saini on July 23, 2013 at 11:00am — 7 Comments
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