जीवन
जीवन
तुम हो
एक अबूझ पहेली,
न जाने फिर भी
क्यों लगता है
तुम्हे बूझ ही लूंगी.
पर जितना तुम्हे
हल करने की
कोशिश करती हूँ,
उतना ही तुम
उलझा देते हो.
थका देते हो.
पर मैंने भी ठाना है;
जितना तुम उलझाओगे ,
उतना तुम्हे
हल करने में;
मुझे आनद आएगा.
और
इसी तरह देखना;
एक दिन
तुम मेरे
हो…
Added by Veena Sethi on July 29, 2012 at 6:35pm — 1 Comment
मै
इक आवाज हूँ.
जब किसी मजलूम के
मुँह से निकलूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी की
सिसकी बन
आँखों से छलकूँ
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
दर्द में
कराह बन जाऊं,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
दिल से
आह बन टपकूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै...
जब किसी के
चहरे पर
ख़ुशी बन चमकूँ,
मुझे इल्जाम मत देना.
मै..................
वीणा…
Added by Veena Sethi on July 10, 2012 at 5:00pm — 12 Comments
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