For any Query/Feedback/Suggestion related to OBO, please contact:- admin@openbooksonline.com & contact2obo@gmail.com, you may also call on 09872568228(योगराज प्रभाकर)/09431288405(गणेश जी "बागी")

माँ तुम्हारा वो एहसास----- कविता

 

माँ तुम्हारा वो एहसास 

माँ

                    

 तुम मेरी माँ हो,

मै ये  जानता  हूँ ;

 पहचानता हूँ .. 

 तुमने 

मेरा हाथ  थाम  

चलना सिखलाया था। .

मेरे  कदम 

जब डगमगाए थे;

तुमने 

हाथ बढ़ा थामा था।

जब भी कभी 

मै गिरा 

तुमने 

मुझे उठा 

मेरी सिर 

प्यार से सहलाया था।

 

आज 

जब तुमने 

अपना हाथ 

मुझे थमाया था,

तुम्हारा वही 

कोमल एहसास 

मुझे सहला गया था।

मुझे मालूम है :

आज मुझे 

तुम्हारा हाथ थामना है;

और 

मुझे भी तुम्हारे  

उसी एहसास को 

फिर से 

एक बार 

 जीना है।

तुमने जो मुझे दिया;

आज मुझे,

मेरी प्यारी माँ ...!

तुमको वो लौटना है।

और ...और ...

तुम्हारी 

वही ममता और स्नेह का 

अमर वरदान 

मुझे फिर से जीना 

और पाना है।

वीणा सेठी ...........

  , 

Views: 739

Comment

You need to be a member of Open Books Online to add comments!

Join Open Books Online

Comment by Ashok Kumar Raktale on May 15, 2013 at 9:08pm

आदरणीया सुन्दर भावपूर्ण रचना किन्तु वरिष्ठ जनो से मैं भी सहमत हूँ माँ का कर्ज चुकाने की बात करना नादानी है.सादर.


सदस्य टीम प्रबंधन
Comment by Saurabh Pandey on May 15, 2013 at 5:08pm

माँ के अहसासों के साथ व्यापार या आदान-प्रदान तो होता ही नहीं. सुन्दर भावपूर्ण पंक्तियों के फेर में कुछ असंयमित भाव शब्द पा गये हैं.

वैसे आप जैसे का सतत प्रयासरत रहना काव्यजगत की मांग है.

Comment by shalini kaushik on May 14, 2013 at 12:08am

बहुत सुन्दर भावनात्मक अभिव्यक्ति .

Comment by ram shiromani pathak on May 13, 2013 at 8:52pm

सुन्दर रचना  हार्दिक बधाई वीणा जी //////

Comment by seema agrawal on May 13, 2013 at 7:40pm

माँ के ममत्व को जिया तो जा सकता परंतु लौटाया नहीं जा सकता ..सुन्दर भाव पूर्ण रचना वीणा जी बधाई 

Comment by लक्ष्मण रामानुज लडीवाला on May 13, 2013 at 6:42pm

मातृ दिवस पर रची सुन्दर रचना के फ़रिए माँ का अहसास करने के लिए हार्दिक बधाई वीणा सेठी जी 

Comment by Shyam Narain Verma on May 13, 2013 at 4:37pm
बहुत बहुत बधाई इस सुन्दर रचना के लिए ……………..
Comment by PRADEEP KUMAR SINGH KUSHWAHA on May 13, 2013 at 3:49pm

तुमने जो मुझे दिया;

आज मुझे,

मेरी प्यारी माँ ...!

तुमको वो लौटना है।

और ...और ...

तुम्हारी 

वही ममता और स्नेह का 

अमर वरदान 

मुझे फिर से जीना 

और पाना है।

anvart prakriya 

saadr badhai, 

Comment by coontee mukerji on May 13, 2013 at 11:24am

बहुत सुंदर एहसास / सादर / कुंती

कृपया ध्यान दे...

आवश्यक सूचना:-

1-सभी सदस्यों से अनुरोध है कि कृपया मौलिक व अप्रकाशित रचना ही पोस्ट करें,पूर्व प्रकाशित रचनाओं का अनुमोदन नही किया जायेगा, रचना के अंत में "मौलिक व अप्रकाशित" लिखना अनिवार्य है । अधिक जानकारी हेतु नियम देखे

2-ओपन बुक्स ऑनलाइन परिवार यदि आपको अच्छा लगा तो अपने मित्रो और शुभचिंतको को इस परिवार से जोड़ने हेतु यहाँ क्लिक कर आमंत्रण भेजे |

3-यदि आप अपने ओ बी ओ पर विडियो, फोटो या चैट सुविधा का लाभ नहीं ले पा रहे हो तो आप अपने सिस्टम पर फ्लैश प्लयेर यहाँ क्लिक कर डाउनलोड करे और फिर रन करा दे |

4-OBO नि:शुल्क विज्ञापन योजना (अधिक जानकारी हेतु क्लिक करे)

5-"सुझाव एवं शिकायत" दर्ज करने हेतु यहाँ क्लिक करे |

6-Download OBO Android App Here

हिन्दी टाइप

New  देवनागरी (हिंदी) टाइप करने हेतु दो साधन...

साधन - 1

साधन - 2

Latest Blogs

Latest Activity

Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"शुक्रिया आदरणीय।"
17 hours ago
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, पोस्ट पर आने एवं अपने विचारों से मार्ग दर्शन के लिए हार्दिक आभार।"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार। पति-पत्नी संबंधों में यकायक तनाव आने और कोर्ट-कचहरी तक जाकर‌ वापस सकारात्मक…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब। सोशल मीडियाई मित्रता के चलन के एक पहलू को उजागर करती सांकेतिक तंजदार रचना हेतु हार्दिक बधाई…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"सादर नमस्कार।‌ रचना पटल पर अपना अमूल्य समय देकर रचना के संदेश पर समीक्षात्मक टिप्पणी और…"
yesterday
Sheikh Shahzad Usmani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदाब।‌ रचना पटल पर समय देकर रचना के मर्म पर समीक्षात्मक टिप्पणी और प्रोत्साहन हेतु हार्दिक…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय शेख शहज़ाद उस्मानी जी, आपकी लघु कथा हम भारतीयों की विदेश में रहने वालों के प्रति जो…"
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मनन कुमार जी, आपने इतनी संक्षेप में बात को प्रसतुत कर सारी कहानी बता दी। इसे कहते हे बात…"
yesterday
AMAN SINHA and रौशन जसवाल विक्षिप्‍त are now friends
yesterday
Dayaram Methani replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय मिथलेश वामनकर जी, प्रेत्साहन के लिए बहुत बहुत धन्यवाद।"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"आदरणीय Dayaram Methani जी, लघुकथा का बहुत बढ़िया प्रयास हुआ है। इस प्रस्तुति हेतु हार्दिक…"
yesterday

सदस्य कार्यकारिणी
मिथिलेश वामनकर replied to Admin's discussion "ओबीओ लाइव लघुकथा गोष्ठी" अंक-128 (विषय मुक्त)
"क्या बात है! ये लघुकथा तो सीधी सादी लगती है, लेकिन अंदर का 'चटाक' इतना जोरदार है कि कान…"
yesterday

© 2025   Created by Admin.   Powered by

Badges  |  Report an Issue  |  Terms of Service